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युद्ध अभी आरम्भ हुआ नहीं....नीता झा।

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युद्ध अभी आरम्भ हुआ नहीं.. पाञ्चजन्य अभी बजा नहीं है।। तैयारी अभी बिल्कुल हुई नहीं.. तरकश भरे तीरों से खचाखच।। पर प्रत्यंचा अभी है चढ़ी नहीं.. अस्त्र शस्त्र की कहीं कमी नहीं।। और सेना सरहदों पर डटी हुई.. मारक इरादों से मजबूत खड़ी।। युद्ध अभी आरम्भ हुआ नहीं.. पाञ्चजन्य अभी बजा नहीं है।। पंचतत्व की मेरी माता सजीव.. सब सैनिक को गोदी में रखती।। तुम कहते जिसे निर्जन मरु वह.. अग्नितत्व की हमारी ऊर्जाश्रोत।। माँ नदियाँ हमें रस पान कराएं.. जल को दुग्ध सी पोषक बनाएं।। युद्ध अभी आरम्भ हुआ नहीं.. पाञ्चजन्य अभी बजा नहीं है।। वहीं खारा समंदर अपने अंदर.. सुरक्षित रखता अद्भुत सेनाबल।। पवन देव भी हर इक कोने में रह.. प्राणवायु संग सबमे उत्साह भरें।। माँ भारती का हिमगिरि मस्तक.. सैनिक सजा रहा बिंदिया सदृश्य।। छू लेने को आतुर वायुवीर प्रहरी.. उन्मुक्त लहराते तिरंगा हर प्राचीर।। युद्ध अभी आरम्भ  हुआ नहीं.. पाञ्चजन्य अभी बजा नहीं है।। ये तो आखेटक सी पहरेदारी है.. कोई धूर्त न आए सरहद भीतर।। इस खातिर चौकस जान रखी है.. न समझो युद्ध करने की चाह है।। पर फिर न करना पीठ पर प्रहार.. इस लिए खुद को सतर...