दर्द की कोख से उपजी मुस्कान - नीता झा।

के कोख से उपजी मुस्कान एक दिन अनिता दीदी का फोन आया "जय कांत मिश्र जी भाषा सहोदरी के संस्थापक हैं। मॉरीशस में विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर भव्य कार्यक्रम करने जा रहे हैं। हिंदी के आलेख व शोध की पुस्तक का विमोचन होगा क्या तुम जाना चाहोगी? मॉरीशस..... हाँ मॉरीशस चलो चलते हैं..... मुझसे कुछ कहते नहीं बना-" सोच कर बताती हूँ दीदी" कहकर फोन रखा। यादों के गलियारे से बचपन वाली कुछ पोटलियां खुलनी शुरू हुई। हमारे घर मे धर्मयुग नामक मासिक पत्रिका आती थी। जिसमे हर विषय पर आर्टिकल्स लिखे होते थे सम्भवतः बाल सुलभ उत्सुकता हो या शुद्ध हिंदी उच्चारण हेतु पिताजी हमसे कुछ पढ़वाया करते थे। इसी दौरान पढ़ी थी फिर बड़ी हुई तो गिरमिटिया मजदूरों के विषय मे सुन रखा था। जिसमे बचपन से मॉरीशस के विषय मे जाना, समझा मुझे कमोबेश अंडमान निकोबार के काला पानी से मिलती जुलती परिस्थितियों का आभास हुआ मैने सोच रखा था। काला पानी और मॉरीशस अवश्य जाउंगी ये मेरा मानना है ये दोनों जगहें हर भारतीय के लिए तीर्थ हैं। अपने जीवन काल मे इन जगहों के दर्शन करना ही ...