हमारी निर्वि प्यारी निर्वि - नीता झा
*तीन महीने की हुई है निर्वि...
तीसों नखरे दिखाए रही है।।
मात पिता और दादा दादी...
फुले नहीं समाए रहे हैं।।
भाग्य से आई बेला सुहानी...
दादी बलाएं उतार रही है।।
तीन महीने की हुई है निर्वि...
तीसों नखरे दिखाए रही है।।
निर्वि से घर मे खुशी जगी...
घर की शोभा बढ़े रही है।।
शुभ प्रसंग की बेला आई...
नानी गीत गाए रही है।।
तीन महीने की हुई है निर्वि...
तीसों नखरे दिखाए रही है।।
अरे रतजगे की आदि निर्वि...
सबको रात जगाए रही है।।
शुद्धमति निर्वि देवी स्वरूपा...
बाल लीला से हंसाए रही है।।
नीता झा*
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