यौगिक प्रार्थना - नीता झा
श्लोक - योगेन्चित्तस्य पदेन वाचां। मलं शरीरस्य च वैद्य केन।। योपाकरोत्तं प्रवरं मुनिनां पतन्जलिं। प्रान्जलिरानतोस्मि।। हिंदी अनुवाद- योग से चित्त का,पद से वाणी का। व वैद्यक से शरीर का, मल जिन्होंने दूर किया उन मुनि श्रेष्ठ को मैं, अंजलिबद्ध नमस्कार करता हूँ। व्याकरणाचार्य भरत्य हरी जी ने अपने ग्रंथ "वात्यपदीय" के मंगलाचरण में महर्षि पतन्जलि की स्तुति में करबद्ध प्रार्थना स्वरूप शलोक की रचना की आइए हम भी अपने दिन की शुरूआत ऐसे ही मनोभाव से करें..... नीता झा