अम्मा की पेटी - नीता झा

   इतने साल तुमको याद नहीं आई?

तुम्हारी अम्मा क्या गईं तुम पलट कर आए ही नहीं.....

आपने भी तो याद....

याद.....

हां नेहा की तरह मैं रोज फोन भी तो नहीं लगा पाता तुम व्यस्त रहते हो बहू से कितनी ही बात करता....

अम्मा की अलमारी खोल कर पेटी की ओर उंगली दिखा कर कहा" जरा इसे खोल कर देखो तुम्हारे लिए क्या  है।"

अपनी जगह से हट कर पापा अम्मा की तरह आ कर बगल में खड़े हो गए 

"अम्मा की पेटी"

हां.....

उनकी शादी की पेटी कहती थी तुम बचपन में इसमें अपने खिलौने रखा करते थे तो इसे तुम ही रखना.....

बहुत पुरानी पेटी है....

"जी पापा"

पेटी में बहुत सारे गिफ्ट पैकेट भरे थे। साथ ही एलबम था उसके जन्मदिन और त्यौहारों की फोटो हर वर्ष के साथ लगी थी। जिसमें वो तो कहीं नहीं था पर पापा उसके हर जन्मदिन को खास बनाने में अम्मा की आदमकद तस्वीर के बगल में खड़े होकर अपने दोस्तों संग मशगूल होने की कोशिश में दिखाई दिए।

  बहुत कुछ कहना चाहा पर गला भर आया शब्द डूबने से लगे उसने आंसूओं को रोकने की कोशिश मे झुकी नज़रों  को बड़ी मुश्किल से उठाया पापा की आंखें भी नम हो गईं

.बहुत इंतजार करवाया यार

और कहते हुए पाठक सर ने तनय को गले लगा लिया दोनो की बन्द आँखों की कोर से रीसती पीड़ा दस साल की जमी गर्त बहा रही थी।

नीता झा

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