सूर्यनमस्कार-

सूर्य नमस्कार वैदिक काल से हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा भगवान सूर्य की उपासना तथा स्वास्थ्य लाभ हेतु की गई आसनों की अत्यंत प्रभावशाली श्रंखला है। नियमित रूप से सूर्यनमस्कार करने के शारिरिक एवं मानसिक सकारात्मक प्रभाव सहज ही दिखने लगते हैं।
सूर्यनमस्कार पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख होकर करना चाहिए।
सूर्यनमस्कार करने के लिए सबसे सही समय सूर्योदय के समय होता है।
सुबह नित्यकर्म से निवृत होकर खाली पेट सूर्यनमस्कार करना चाहिए।
सूर्यनमस्कार तथा अन्य आसनों के आधे धंटे तक कुछ भी खाना पीना नहीं चाहिए।
सूर्यनमस्कार आराम से करना चाहिए जल्दी जल्दी नहीं करना चाहिए।
सूर्यनमस्कार में सात आसन होते हैं जिनमे शुरू के पांच तथा आखरी के पांच आसन समान होते है। 
छठवां तथा सातवां आसन एक बार ही किया जाता है।
इनकी बारहों आसनों के नाम तथा लिए बारह मंत्र ये है....
1 ॐ मित्राय नमः  - प्रणाम आसन
2ॐ रवये नमः  - हस्तोतानासन
3ॐ सूर्याय नमः - पादहस्तासन
4ॐ भानवे नमः-  वाम अश्वसनचलन
5ॐ खगाय नमः - पर्वतासन
6 ॐ उष्ण नमः - अष्टांगनमन
7 ॐ हिरण्यगर्भय नमः - भुजंगासन
8 ॐ मरीचये नमः - पर्वतासन
9 ॐ आदित्याय नमः - दक्षिण अश्वसनचलन
10 ॐ सवित्रे नमः - हस्तोतानासन
11ॐ अर्काय नमः - पादहस्तासन
12 ॐ भास्कराय नमः - प्रणामासन
सूर्यनमस्कार करने के बाद थोड़ी देर शवासन करना चाहिए।
नीता झा

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