किसी पे तंज कसने से पहले
किसी पे तंज कसने से पहले ख़ुद को भी परखना चाहिए
जब हम खुद का आंकलन सही करते हैं तो दूसरों की कमियां नहीं दिखतीं हमारा अपना नजरिया जितना व्यापक होगा हम उतना ही दूसरों की अच्छाइयों को महसूस कर पाएंगे
सौम्या ने वीकेंड अपनी सारी स्कूल फ्रेंड्स को बुलाया एक ही शहर में होने के बावजूद सबका आपस मे मिलना नहीं हो पाया था। सबकी अपनी अपनी ज़िंदगी अपने- अपने मायाजाल ।
प्राची,तान्या,वैशाली और सौम्या ने स्कूल ,कॉलेज की पढाई एकसाथ ही की सब्जेक्ट चाहे अलग अलग थे कॉलेज एक था। सबकी फैमली भी आपस मे घुली- मिली थी । सुमि की शादी का समय आया परिवार के अलावा इन फ्रेंड्स की सलाह भी उतनी ही महत्वपूर्ण थी कुल मिला कर ये अलग अलग फूलों के खूबसूरत से गुलदस्ते थे।
सौम्य की शादी को 4 महीने हुए थे सबसे पहले उसी की शादी हुई थी तो सारी सहेलियां उसका घर परिवार देखने को बड़ी उत्सुक थीं और उसने अबतक किसी को लंच या डिनर पर नहीं बुलाया था बाहर उनका मिलना हुआ था वो वरुण के साथ सबके साथ मिली थी लेकिन उसके घर उसकी चंडाल चौकड़ी नही आई थी । सबसे ज्यादा तान्या छेड़ती थी उसने तो कंजूस कपल नाम भी रख दिया था।
सौम्या ने बुला तो लिया था पर मन मे मम्मी जी के स्वभाव को लेकर शंका थी कहीं उन्होंने अपनी बेबाक जुबान के चलते कुछ कह दिया तो सबको बुरा लगेगा वो भी कई बार अकारण ही उनके गुस्से की शिकार हुई थी। उनसे कोई पंगा नहीं लेता था फिर सौम्या तो नई नई थी क्या कहती कुछ न कहना मर्यादा थी पर मन उदास हो जाता घर मे एक अजीब सा भारीपन लगता था। पानी भी पीलो तो लगता कुछ कह न दें वो हमेशा सावधानी बरतती थी कहीं कुछ ऐसा न हो जाए कि उसे सबके सामने सुनना पड़े यही कारण था कि अंततः मम्मी जी ने पापा के पूछने पर कहा था" अभी तक तो सब अच्छा है समधी जी, सब अच्छे संस्कार ही दिखे हैं अब आगे भी ऐसे ही रहेगी तब मानेंगे" सौम्या चुप रही पापा ने भी कुछ नही कहा तारीफ और सौम्या के फीके चेहरे में उलझे से लगे मौका पाते ही पूछा सुमि ये तेरी सास ठीक व्यवहार तो करती हैं ना?
हाँ पापा सबका बराबर ध्यान रखती हैं।
पापा बड़े गौर से उसे देख रहे थे।
उसने समझाया जबान की तेज हैं पर ऐसा भी नहीं कि दिल की बुरी हैं आप चिंता मत करें वो मुझे बहुत चाहती हैं। बात सही भी थी। मम्मी जी थीं भी अच्छी इंसान सच्ची, न्याय प्रिय जो कहतीं सामने ही कहतीं बात सही होती इसकारण कोई विरोध न था पर माहौल बोझिल हो जाता था। खैर जब रोज- रोज कोई बात हो तो लोगों की आदत में आ जाती है। बोलने वाले कि भी और सुनने वाले की भी ऐसे में कुछ बोलने रिश्तों में खटास लाने से ज्यादा कुछ न होगा अतः चुप रहकर उचित समय का इंतज़ार करने में ही भलाई है।
देखते देखते वीकेंड भी आया सास बहू ने मिल कर सारा मेन्यू तैयार किया खुद जाकर बड़े उत्साह से सारे समान लेकर आइं मम्मी जी ने सबके लिए रिटर्न गिफ्ट भी लिए सौम्या मना करती रही पर "तुम्हारी फ्रेंड्स पहली बार आ रही हैं ऐसे ही जाने दूँ क्या?" कहकर उन्होंने सुमि का मुह बन्द कर दिया उसे भी अच्छा लगा उनका सम्मान देख कर फिर दोनों ने मिलकर स्वादिष्ट खाना भी तैयार किया नियत समय पर सबलोग आए सामान्य औपचारिकताओं के बाद तान्या ने चहकते हुए कहा वाह कितना प्यारा घर है आपलोग भी कितने अच्छे हैं।
सुमि चलो ना अपना घर घुमाओ सुमि कुछ कहती उससे पहले ही मम्मी जी बोलीं अब घर तो घर ही है। जैसे सबका होता है। आपलोग ड्रॉइंग रूम में ज्यादा कम्फर्टेबल रहेंगे कहती हुई वो किचन में चली गईं उनका पूरा समय सबके कपड़ों,फैशन,व्यक्तिगत बातों में टिका-टिप्पणी करते ही बीता पूरे माहौल में अजीव सा भारीपन छाया रहा सुमि लोगों को काम करते देख इन सबों का भी मन होता हाथ बंटाने का पर कहते डर लगा सुमि का घर होता तो ये लोग आंटी को आराम करने कह सारा कुछ खुद ही बनाते- खाते, खिलाते वो होती वीकेंड पार्टी जाहिर है ये नया घर है नए लोग हैं तो वैसा तो नहीं होता पर ऐसे व्यवहार की उम्मीद किसीको नहीं थी।
किसी तरह सबने खाना खाया और विदा हो गए उन्हें छोड़ने के बहाने सुमि मोड़ तक आई छुटते ही तान्या झुंझलती हुई बोली यार तेरी सास तो बड़ी अकड़ू है कैसा व्यवहार है ! तू कैसे मैनेज करती है?
बस कुछ नहीं बोलने में तेज हैं पर क्या किया जा सकता है कोई कुछ नहीं कहता मैं ही क्यों बुरी बनू बाकी सब सही है
मतलब तू हमेशा इनको इसलिए झेलेगी क्योंकि बाकी सब सही है पागल तू उन्हें भी तो बदल सकती है फिर सब अच्छे"समय के साथ सब अच्छा होगा कहकर बात बदलने लगी लेकिन तान्या की बात दिल मे लग गई।
कुछ दिनों बाद सुमि के पास उसकी मम्मी का औपचारिक बातों के बाद उन्होंने कहा -" बेटू जरा समधन जी से बात कराओ तुम सबको कल यहां खाने पर बुलाना है। टैटू का जन्मदिन है ना तो इसी बहाने दोनों परिवार आपस मे मिल बैठ लेंगे
और कौन कौन आएंगे?
वही सब होंगे तुम्हारे,मिलिंद,मानसी, सबके दोस्तों की टीम और अब तो टैटू के भी दोस्त बनने लगे हैं स्कूल जो जाने लगा है। सुमि ने मुस्कुरा कर फोन मम्मी जी को दिया बातें करने के बाद उन्होंने जाने से मना कर दिया जी तो चाहा नहीं आए तो अच्छा पर उन्हें जरूर लाने का आग्रह किया था सबने किसी तरह वो मान गईं ।
टैटू के लिए सोने की अंगूठी,या चेन लेकर चलते हैं। मम्मी जी ने कहा तो सुमि ने अपना पक्ष रखा मैं सोच रही थी कुछ गेम ले लेते हैं उसे ज्यादा खुशी होगी जैसा तुम चाहो वैसे हमारे यहां ऐसी ही चीजें दी जाती हैं। सुमि ने कुछ नहीं कहा उन्होंने टैटू के लिए बढ़िया खिलौने वाली कार ली और चल पड़े जन्मदिन मनाने जैसे ही ये लोग घर पहुंचे पूरे घर मे खुशी की लहर दौड़ गई टैटू को कार बहुत पसंद आई वह पूरे घर मे कार में ही बैठा घूम रहा था। पूरा घर मेहमानों से खचाखच भरा था जिसे जो काम समझ मे आता कर लेता किसी को कोई असुविधा न हो इस बात पर हरकोई लगा था।
बड़े उत्साह से केक काटने के बाद सबलोग डांस, गाने में व्यस्त हो गए पता ही नही चला कब रात के ग्यारह बज गए खाते पीते बहुत रात हो गई सुमि का बिल्कुल भी मन नहीं था वापस जाने का कल सबलोग पिकनिक का प्लान कर रहे थे। पर सुमि ने कुछ नहीं कहा
इधर मम्मी जी ने देखा उनकी धीर गम्भीर बहु कितनी चंचल है। सारे लोगों की जान बसती है इस परी में वो भी तो इतना प्यार करती हैं उससे फिर वो इतनी शांत क्यों हो गई थी। अपनी मम्मी को सजल अच्छी तरह जानता था वो कुछ तो बात है जो उन्हें परेशान किए है। उसने कहा" मम्मी अपने यहां की छत देखी है?"
नहीं तो-- कुछ खास बात हैक्या?
जी हां बहुत प्यार गार्डन है हम आते है अक्सर शाम की चाय सबलोग टैरिस गार्डन में ही पीते हैं
दोनों ऊपर आ गए सच मे बहुत सुकून दायक गार्डन था नीचे की गहमा गहमी के बाद यहां बहुत सुकून मिला
"आपको कैसा लगा मम्मी बोर तो नही हो रही हैं?
मम्मी जी ने सिर हिलाते हुए कहा नहीं बहुतअच्छा लगा सबलोग कितना ध्यान भी तो रख रहे हैं कितना प्यार है यहां सबलोगों में अच्छा लगा "
सुनकर सजल कुछ आश्वस्त हुआ आपको अचानक कुछ परेशान देखा तो----
ओह वैसा कुछ नहीं मैं सोच रही थी सुमि यहां कितनी खुश है घर मे बहुत शांत रहती है वो हमसे खुश तो है ?
हां बहुत खुश है ! वो मुझसे तो सबकी तारीफ ही करती है। नया माहौल है ढलने में समय लगेगा हमलोग भी हैं ना उसका ध्यान रखने
हां सही कहते हो तुम पता है जब मैं शादी के बाद इनके घर आई थी सबकुछ बड़ा अजीब लगता था खाना, पहनावा,ओढावा, रहन-सहन मुझे बहुत परेशानी होती थी सबके साथ खुद को एडजेस्ट करने में वैसे भी छोटे परिवार में रहना अलग होता है और बड़े परिवार में अलग मुझे भीड़- भाड़ पसन्द नही थी और यहां हमेशा मेला लगा रहता तभी सोच करती थी जितना कुछ मुझे संयुक्त परिवार में सहना पड़ा वो सब मेरी बहु नहीं सहेगी इसी चक्कर मे शायद मैने उसे अकेलापन दे दिया मैं ये भूल गई थी वो लोग सारे हमारे अपने ही तो थे जिन्हें सीधे सीधे हमारे सुख दुख से सरोकार था।
इतने में उन्हें ढूंढती सुमि आ गई "मम्मी जी आपलोग यहां ?"
कुछ सशंकित हो प्रश्नवाचक नजरों से सजल को देखा
हां सुमि मैं मम्मी को गार्डन दिखाने लाया था"
ओह चलिए अपदोनो को नीचे सब पूछ रहे हैं
फिर मम्मी जी की तरफ घूम कर पूछा"- कैसा लगा मम्मी जी गार्डन? इसमें मैन भी बहुत मेहनत की है"
बहुत सुंदर सुकूनदायक जगह है बेटा यहां समय का पता भी नहीं लगा खास कर झूला गजब है
सुमि चहकती हुई बोली -"मम्मी जी यह झूला बड़ी मुश्किल से यहां सेट हुआ है भैया यहां चेयर लगाने की जिद में थे और मैं भाभी झूले के पक्ष में
सही है यहां तो झूला ही ज्याद सही है
जी मुझे यहां बैठना बहुत अच्छा लगता है
कहते कहते सुमि की आवाज थोड़ी अटक गई शायद याद आ गया अब वस किसी और घर की हो चुकी है।
मम्मी जी ने धीरे से सुमि को हाथ पकड़ कर झूले में बिठाया और मुस्कुराकर बोलीं तो कब लगवा रही हो अपनी छत में झूला ? टैरिस गार्डन और झूले की डिजाइन तुम ही करना ठीक है ?फिर कुछ रुक कर कहा तुम्हारी फ्रेंड्स बता रही थीं सब कहीं पिकनिक का प्लान बना रहे हैं क्या तुम और सजल जाना चाहते हो ?
अचानक हुए सवाल से सुमि को कुछ जवाब नहीं सूझा वो सजल को देखने लगी मानो जवाब पूछ रही हो
सजल ने कहा सुमि वैसे चाहें तो जा भी सकते हैं कल सन्डे है
सुमि का चेहरा खिल गया-" सच मे"
हां तुम चाहो तो
मम्मी जी ने बात पूरी की "जरूर जाना चाहिए तुम दोनों को सबके साथ जाओगे मजा भी बहुत आएगा"
सुमि ने मुस्कुरा कर कहा आप सब भी चलिए ना मम्मी जी
उन्होंने सुमि के माथे पर सरक आए बालों को सम्हालते हुए प्यार भरी नजरों से निहारते हुए कहा- अभी तुम दोनों हो आओ फिर कभी हमसब भी एकसाथ चले चलेंगे ठीक है।
चलो अब जल्दी जल्दी घर चलते हैं तुम दोनों को कल की तैयारी भी तो करनी है।कहते हुए वो नीचे उतरने लगीं आज उन्हें समझ आ गया था। खुशियां महंगी नहीं के उन्हें महंगी दुकानों में तलाशें खुशियां तो अपने आस पास ही बिखरी होती हैं अपने अपनो के निष्छल प्यार और आपसी समझ के व्यवहार में ।
नीता झा
स्वरचित, मौलिक रचना
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