तलाक़ क्या होता है - नीता झा



तलाक़ क्या होता है?
पूछो बूढ़ी दादी से ....
जिन्होंने मौत को मात दी थी
तुम्हारी शादी की बात सुन

तलाक़ क्या होता है?
पूछो उन उदास जोड़ों से....
जिन्होंने दुनिया से बैर लिया
अपने बच्चों की खातिर
आज भी लड़ रहे हैं
खुद से,दुनिया से और
अपने टूटते अधेड़ सपनो से।।

तलाक़ क्या होता है?
पूछो उन अबोध रिश्तों से 
जो तुम्हे आदर्श समझते
तुम्हारी पीड़ा देख कर
विवाह को ग़लत समझते हैं

तलाक़ क्या होता है?
उस बहन से पूछो...
जो रोज़ सुनती है
बात बे बात उलाहने
साबित करना होता है
जूझते रोज ही खुद को 

तलाक क्या होता है?
पूछो उन दो जोड़ी आंखों से
जो तुम्हारी रोज़, रोज़ की
फ़ूहड़ लड़ाई देखती हैं
चुपचाप तुम्हारे कठोर
उद्दंड आदेश को न मान
दोनों हथेलियों से ख़ुद को
पूरी ताक़त से दबती हैं
इतना कि दर्द से आंसू निकले


जब तुम बहुत उदास
और अवसाद से भरे
उसके पास आकर
सोने के नाम पर
पलकें भिगोते हो
तभी वो नन्हे हाथ
डरते सहमते तुम्हारे
आए आंसू पोंछते हैं
क्रोधवश पड़ी अकारण 
मार से खुद को बचाते हैं

तलाक़ क्या होता है?
पूछो उस नन्ही ज़बान से 
जिसे वयस्क ,अबोध फिक्रमंद,
चालक,निर्णायक,विदूषकऔर 
धूर्त सवालों के जवाब देने होते हैं

जिसे ये भी नहीं पता
वह आया कहाँ से है
उससे पूछा जाता है
किसके साथ रहना है
तुम्हे कौन पसन्द है
वो नही समझ पाता
किसे छोड़े किसे अपनाए

तुम उसे अहसास कराते हो
उसका जीवन मुश्किलों भरा है
इसलिए तुम मर भी नही सकते
पर उसकी मासूमियत का क्या
जो तुम्हारे फैसले के चाबुक से 
घायल रोज तिल - तिल मरती है

सबकी सोच से पड़ते अनेक नाम
मनहूस, जिद्दी,धमण्डी,बदमाश
या भोंदू, कोई कहे धूर्त, चालाक
क्यूआ जानो उन नामों से सिहरा
वो बेचारा अवसादों में घिर जाता है
बमुश्किल मिली सीमित सुविधाओं से
अपने जीने के तरीके गढ़ता रहता है

तलाक क्या होता है?
उसके तमाम अधूरे सपनो से पूछो
जो चढ़े उपेक्षा, उलाहनों की बलि
करते रहे उसे बेचैन पाने मंज़िल
दौड़ाते ही रहे चढ़ने उत्तुंग शिखर

तलाक़ क्या होता है?
पूछो उन उपलब्धियों से जो मिलीं
जीवन को संवारने, निखारने को
और पूछो गिरते हुए अश्रुबिंदुओं से 
 जो तमाम वीरानियों को थामे हुए थे।।
 
तलाक़ क्या होता है?
पूछो उस बच्चे से 
बड़ी बेतकल्लुफी से जिसे कहा गया 
इस बैग में अपने जरूरी सामान रखलो
कोई नही समझेगा उसकी जरूरी चीजें
दादी की कहानी,दादा की गहरी दोस्ती
चाचा की बाइक रेसिंग की बेहिसाब खुशी
बुआ के संग घण्टों सजावटी चीजें बनाना
सभी छोटे ,बड़े भाई बहनों के साथ पढ़ना,
हंसना,खेलना पूरी पलटन का नेता बनाना,
सबके साथ पिकनिक पर खूब मजे करना
कैसे भूलेगा ऐसे ही अनगिनत प्यारे लम्हे
श्यामा गाय का दूध, ताजे फलों के जूस,
करण से पहले दादी को पूजा के फूल देना
फिर सबसे पहले नहाधो प्रसाद ग्रहण करना
सब कहते मुहल्ले की शान दादी की जान है
सारा कुछ यहां छोड़ - छाड़ मम्मी संग जाना
सिर्फ छुट्टियों में नहीं हमेशा के लिए जाना।।
तलाक़ क्या होता है?
पूछो उन तमाम चाहने वालों से
जिन्हें फर्क पड़ता है तुम्हारे आंसुओं से
तुम्हारी अनगिनत परेशानियों से
तुम्हारे बच्चों की सिसकियों से
और उनके अनसुलझे सवालों से
           नीता झा

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

निपूर्ण योग संस्थान रायपुर छत्तीसगढ में योग दिवस - नीता झा

योग के लिए खुद को तैयार कैसे किया जाए - नीता झा

निपूर्ण योग केंद्र