मम्मी की मुस्कुराहट - (लघुकथा) नीता झा

शाम होने को आई थी और पूर्वी अबतक घर नहीं आई थी।अनुजा को थोड़ी चिंता हुई फिर मन ने तर्क  दिया शायद अपनी फ्रेंड रिया के घर गई होगी अनुजा पहले इतनी परेशान नहीं होती थी पर आजकल कई घिनोने केसेस होने लगे हैं तो बच्चे बाहर जाते हैं और इधर मन घबराने लगता है परसों की ही बात है अनुजा ने पूर्वी को तीन घण्टे में दो बार फोन लगा दिया पहले वो ऐसा नहीं करती थी पूर्वी ने घर आकर कहा मम्मी आप बार बार फोन क्यों लगा रहे थे मैंने बताया तो था शैली के साथ प्रोजेक्ट बना रही हूं आप बहुत डरते हो। उसकी समझ में नहीं आया क्या कहे दीपक ने  बात सम्हाली बेटा तुम्हारी माँ तुम्हारी सुरक्षा को लेकर थोड़ी भयभीत है तुमसे प्यार जो इतना करती है।
   बात आई गई हो गई आज फिर वो घबराने लगी शाम हो रही थी वो शाम की आरती करने पूजा कमरे में गई ही थी की पूर्वी ने उसे पीछे से आकर गले लगा लिया फिर दोनों ने आरती की फिर उर्वी ने कहा मम्मी आप ना मुझे हमेशा मुस्कुरा कर विदा करती हो पर कुछ दिनों से वो मुस्कान गायब है।
   
   हां बेटू मुझे तेरी बहुत फिक्र होती है उसने बीच में ही बात काटकर कहा अब से आप मुझे वैसे ही मुस्कुरा कर भेजोगी क्यूँकि हम सभी फ्रेंड्स ने सेल्फ डिफेंस की क्लास ज्वाइन की है और मैन तो आपके लिए भी बात की है हम साथ चलेंगे कल 4 बजे से ।

नीता झा
मौलिक, स्वरचित
                  

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