मायका - नीता झा

मायका
मायका जिसकी शुरुवात ही माँ से हो वहां के कण कण में वात्सल्य भर होता है बशर्ते आप जब वहां की देहरी में कदम रखें अपनी उपलब्धियों, विशालता के दम्भ को बाहर किसी सिंहासन में सजाकर फिर अंदर आएं फिर देखिए वोही हाथ आपके सर सहलाएँगे जिनकी थपकियों मेंआप बचपन से मीठी नींद सोती आई हैं वहां कितना अकूत भंडार होता है स्नेह, वात्सल्य का नाना, नानी,दादा, दादी, मामा, मामी, मौसा, मौसी, बुआ,फूफा, चाचा, चाची, भैया, भाभी,दीदी, जीजाजी बचपन की सहेलियां ,पड़ोसी, शिक्षक ,सहपाठी और न जाने कितना कुछ उतने ही छोटे रिश्ते भी और हर किसीके साथ हमारे बचपन की मासूमियत भरे खूबसूरत संस्मरण वहां की दरो-दीवार यानि समूचे परिवेश में समाहित हम और हमारी यादें I
  समय कई रिश्तों को अपने में समाहित कर लेता है पर यादें हमेशा वैसी ही ताजी जीवंत होती हैं किसी  महकते लचकते खूबसूरत खुशबूदार फूल की तरह
    नीता झा 
    

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

निपूर्ण योग संस्थान रायपुर छत्तीसगढ में योग दिवस - नीता झा

योग के लिए खुद को तैयार कैसे किया जाए - नीता झा

निपूर्ण योग केंद्र