प्यारी गुड़िया - नीता झा

माँ- बाबा की प्यारी गुड़िया
हौले-हौले बढ़ रही है
पेट में हाथ- पांव मार
दोनों को हर्षा रही है
माँ- बाबा की प्यारी गुड़िया
हौले हौले बढ़ रही है
घर में किलकारियां मार
 गुंजायमान कर रही है
माँ-बाबा की प्यारी गुड़िया
हौले हौले बढ़ रही है
आंगन में नन्हे कदमों
ठुमकती इठला रही है
माँ- बाबा की प्यारी गुड़िया
हौले हौले बढ़ रही है
बालमंदिर में सीखी जो
वो मीठे गाने सुना रही है
माँ-बाबा कि प्यारी गुड़िया
हौले हॉल बढ़ रही है
कभी रंगोली, पेंटिंग तो
कभी रोटियां बना रही है
माँ-बाबा की प्यारी गुड़िया
हौले हौले बढ़ रही है
दादा-दादी की दुलारी
कभी तुनकती, इतराती
कभी चश्मे तलाशती
कभी कहानी सुनती
माँ-बाबा की प्यारी गुड़िया
हौले हौले बढ़ रही है
अपने शौक निखारने
मनोयोग से लगी हुई है
माँ-बाबा की प्यारी गुड़िया
हौले हौले बढ़ रही है
अपने मासूम सौंदर्य को
दर्पण में निहार रही है
मा- बाबा की प्यारी गुड़िया
हौले हौले बढ़ रही है
बढ़ते खर्चों से सकुचाई
खुद ही कुछ बना रही है
माँ-बाबा की प्यारी गुड़िया
हौले हौले बढ़ रही है
सफलता की मंजिल तक
जाने वह मेहनत कर रही है
माँ-बाबा की प्यारी गुड़िया
हौले हौले बढ़ रही है
सबकी तकलीफें भांपती
उन्हें समझाइश भी देती है
माँ-बाबा की प्यारी गुड़िया
हौले हौले बढ़ रही है
अपने पैरों पर खड़ी वह
जिम्मेदारियां सम्हाल रही है
माँ-बाबा की प्यारी गुड़िया
हौले हौले बढ़ रही रही है
सबकी आशीष से मिले
 मनमोहक रिश्ते से बंधी है
मा-बाबा की प्यारी गुड़िया
हौले हौले बढ़ रही है
अपने आंगन से विदा हो वह
अपने घर में विराज रही है
माँ-बाबा की प्यारी गुड़िया
हौले हौले बढ़ रही है
दोनों घर की लाज सम्हाले
आनन्दित जीवन जी रही है
नीता झा











टिप्पणियाँ

  1. एक बिटिया पैदा होने से उसकी बिदाई तक का सफ़र बेहद खूबसूरती से व्यक्त किया है

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