होली दिवाली साथ मन रही - नीता झा
हर गली, चौक, चौराहों पर
शातिर बैठे हैं आग लगाने
कुछ खूनी रंग हैं खेल रहे
भीग रही कहीं कोई बाला
अपने ही लहू से सराबोर
कोई जलाई जा रही घर में
कोई जल रही बीच बाजार
दिवाली की मिठाई सी पहुंची
सजा-धजा बड़े बड़े दरबारों में
फिर परोसी जा रही हर एक में
जैसे त्योहारी पकवानों की बहार
पानी दार सब मौन भीष्म हो गए
शकुनि चलते चालाकी के चाल
भाई-भाई से लड़ मिटे और
लोभी उड़ाते माल अपार
नीता झा
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