चलो यहीं रहते हैं - नीता झा
दसरी जल्दी जल्दी कदम बढ़ती घर की तरफ बढ़ रही थी। अचानक धुंधलके में आज फिर पत्थर से टकरा गई पिंडली में दर्द हुआ शायद थोड़ी बहुत खरोच आई होगी उसने हाथ लगया तो गीला-गीला लगा शायद थोड़ा बहुत खून निकल गया होगा दर्द की परवाह किए बिना चली जा रही थी।
इतने में दीदी दिख गई बैठने कहा वो नहीं मानी दीदी ने देखा वह अपनी साड़ी में कुछ रखे हुए थी क्या है?
कुछ नही बस थोड़ी सी चना भाजी है मंगली के साथ मिलके तोड़ी थी तो वो बनाई तो थोड़ी भाजी दी है।
चना भाजी! दीदी की आंख चमक गई
दसरी को पता था वो जहर भी खाएगी तो वो दीदी को चाहिए मुस्कुरा कर बोली चल अंदर थोड़ी तू भी ले ले दोनों बहने अंदर गईं अभी बैठी भी नहीं थी कि रतन आ गया" माँ ...कबसे ढूंढ रहा हूं ! बताके भी तो आना था रात हो गई ! फिर अपनी मौसी की तरफ देखकर बोला "पता है मौसी आजकल रात में थोड़ा कम दिखता है कितनी बार बोलता हूं कहीं जाओ तो किसी को साथ रख लिया करो पर माँ माने तब ना"
यहां काहे का डर?
ये उसका अपना गांव है बेटा यहीं जन्मी है
गांव में क्या डर तू बहुत चिंता करता है
फिर दीदी की तरफ देखकर बोली दीदी जल्दी कटोरी ला अब घर जाऊंगी घर में सब रस्ता देख रहे होंगे।
दीदी को सब्जी दे वह रतन के साथ गपियाते हुए घर पहुंच गई खाना खाते हुए रतन, रानी और दसरी बहुत देर तक बातें करते रहे कैसे वो लोग शहर से वापस आ पाए वो तो भला हो रतन की समझदारी का कि उसने सारी स्थिति को पहले ही भांप लिया था जैसे ही लॉक डाउन की बात उठी वो लोग जरूरी सामान ले कर गांव निकल गए थे इसके लिए उनके मालिक मालकिन ने उन्हें सुझाया था दरअसल ये तीनो नूडल्स की फेक्ट्री में काम करते थे।
गांव आकर सब अच्छा लग रहा था लेकिन अब जीने- खाने की चिंता होने लगी सरकार ने वैसे तो बहुत सी योजनाएं चलाई हैं दोनों मियां बीवी पढ़े- लिखे भी थे तो सोचा सब सामान्य हो जाएगा तो गांव में ही रहकर कोई कुटीर उद्योग लगाया जाए यहीं रहकर अपना काम शुरू करेंगे और आसपास के इलाकों में आराम से उनका काम चलेगा रतन और रानी ने मोबाइल में सरकारी योजनाओं की जानकारी ऑनलाइन सर्च करके सरपंच और सचिव के साथ मिलकर स्वरोजगार की कई तरह की योजनाओं की जानकारियां इकट्ठी कीं ताकि गांव के लोगों को भी इनका लाभ मिले उन्हीं की तरह घर वापसी किये लोगों को भी यदि चाहें तो उनकी भी मदद हो जाए सबका काम भी जम जाए और अपना घर-गांव भी न छुटे।
" गांव की मिट्टी भी है कमल
हल से खेले तो फसलें अपार
कुम्हार संग खेले तो घर रोशन हज़ार"
नीता झा
🌹🌹👌👌✍
जवाब देंहटाएंBahut badhia jiji
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