घर मे अपनो की देखभाल - नीता झा
आजकल मेडिकल साइंस ने बहुत प्रगति कर ली है बड़े से बड़े रोगों का इलाज बहुत अच्छे से हो तो जाता है फिर जब वे घर आते हैं उसके बाद मरीज और उनके परिजन स्वास्थ लाभ के सारे जतन करते हैं और उनके यही प्रयास मरीज को जल्द से जल्द ठीक करते हैं।
आज हम इसी विषय पर विमर्श करेंगे की मरीज के घर आने के बाद हम उसका ध्यान कैसे रखें।
यदि कुछ ही दिनों में ठीक होने वाली बीमारी अथवा तकलीफ है तो डॉकटर के बताए परहेज और दवाओं से मरीज ठीक हो जाते हैं वहीं गम्भीर बीमारी और लंबे चलने वाले इलाज में मरीज और परिवार को अन्य कई तरह की तैयारियों की जरूरत होती है शारीरिक, मानसिक और आर्थिक ऐसे में धैर्यपूर्वक निदान पर विचार जरूरी हो जाता है।
डिस्चार्ज होने से पहले मरीज के खान- पान, व्यायाम, दवाओं के विषय में अच्छी तरह से जानकारी ले लें कुछ समझ में न आए तो दोबारा पूछें और लिखे। क्या बिल्कुल नहीं खाना है और क्या नहीं करना है यह भी नोट करें , अगली बार कब डॉक्टर से मिलना है, अचानक जरूरत पड़े तो किसे फोन करें यह भी सुनिश्चित करें।
घर पहुंच कर मरीज के साथ इत्मीनान से बैठ कर उन्हें सुने वो कैसा महसूस कर रहे हैं। उन्हें किसी तरफ की सोने बैठने इत्यादि में तकलीफ तो नहीं हो रही है। आरामदायक बिस्तर और ढीले सूती कपड़े पहनने दें यदि वे नित्यकर्म में किसी का सहयोग चाहते हों तो पहले ही तय करलें सब पहले ही व्यवस्थित करें कमरे में यथासम्भव कम समान रखें उनके पास ज्यादा लोगों को न रहने दें यदि वो किसीसे मिलना चाहें तो बुलाएं किन्तु इस बात का ध्यान रखें कि कोई भी मरीज का मनोबल तोड़ने वाली बात या व्यवहार न करे।
उन्हें अपनी स्थिति का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए लेकिन इस विश्वास के साथ की सब अच्छा होगा उनके अपने उन्हें एकदम स्वस्थ देखना चाहते हैं उन्हें भी पूरे विश्वास के साथ इलाज में सहयोग करना होगा उन्हें धीरे- धीरे आराम मिलेगा समय लगेगा लेकिन वो ठीक हो जाएंगे।
जब आप किसी भी तरह की चिंता या परेशानी में हों तो उनके पास से कुछ देर हट जाएं कहीं उन्हें यह न लगे कि आप उनकी वजह से परेशान हैं उनके अस पास खुशनुमा माहौल बना रहे इस बात का भी ध्यान रखें उनसे कुछ न करते बने तो कभी कभार नजरअंदाज करें उनकी छोटी सी भी उपलब्धि चाहे वह एक कदम चलना ही हो उन्हें प्रोत्साहित करें आपके अतिरिक्त और भी कोई उनकी देखभाल कर रहा हो तो उन्हें भी अचानक आने वाली आपात स्थिति में क्या करना है सब पता होना चाहिए
" सम्हल गए जब समय के दिए आघातों से
बाहें फैलाए ये मुस्कुराता जहां मिल गया "
नीता झा
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