प्रकृति का वरदान " हरियाली"- २ - नीता झा

आप सभी को हरियाली के अनुपम त्योहार "पर्यावरण दिवस" की अशेष शुभकामनाएं।
    हमारे पूर्वजों ने बड़े ही आदर भाव से पर्यावरण का संरक्षण किया; उनकी उपयोगिता को धर्म के साथ जोड़ कर हर घर में स्थापित करवाया। ताकि लोग अपने आसपास स्वास्थ्यप्रद वातावरण बना सकें, साथ ही उन औषधितुल्य वृक्षों, झाड़ियों, लताओं और पौधों से स्वास्थ्य लाभ ले सकें और इस बात पर हमे गर्वित होना चाहिए कि आज भी हमारे जीवन में इन मान्यताओं का विशेष महत्व है।
    आस्था और स्वस्थ की इसी कड़ी को आगे बढ़ते हुए आज हम विमर्श करेंगे माता तुलसी के विषय में अपने अंक......
    प्रकृति का वरदान "हरियाली"- २
                   तुलसी
    तुलसी का औषधीय और धार्मिक रूप से विशिष्ठ महत्व होता है। तुलसी दो तरह की होती है राम तुलसी जो थोड़ी हरे रंग की होती है और दूसरी श्याम तुलसी जिसका रंग गहरा होता है। श्याम तुलसी में ज्यादा औषधीय गुण होते हैं। तुलसी का पंचांग अर्थात जड़, तना, पत्तियां मंजरी और बीज सभी का आयुर्वेदिक महत्व बहुत ज्यादा है। तुलसी पत्र बिना भोग नहीं लगता यह तो हम जानते ही हैं इस नियम में छुपा स्वास्थ्यगत महत्व यह है कि तुलसी में रोगप्रतिरोधक क्षमता की प्रचुरता होती है। देवी, देवताओं को अर्पित प्रसाद में तुलसी का होना उसके प्रभाव को द्विगुणित करता है। 
    तुलसी के बीज में सूजन कम करने, सर्दी- ज़ुकाम, मधुमेह,बुखार, कब्ज,हड्डियों की कमजोरी का इलाज होता है। वहीं पत्ते स्मरणशक्ति बढ़ाने, पतले , बीमार, कमजोर लोगों के लिए लाभदायक होती हैं। सुखी पत्तियां उबटन में प्रयुक्त होती हैं जिनसे त्वचा स्वस्थ चमकदार बनती है। उल्टी बंद करने, पाचन सम्बंधित तकलीफ, चोट लगने पर भी इसकी पत्तियों की पट्टी धव ठीक करती है।  किसी भी उम्र के लोगों की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में तुलसी अग्रणी है। किसी योग्य, जानकार व्यक्ति से सलाह ले कर तुलसी के और भी बहुत से उपयोग किए जा सकते हैं। 
    पूजा के बाद पत्तियों को अच्छी तरह धोकर सुखा लें फिर दूध, पानी के साथ ले या चाय में डालें, अदरक, हल्दी, गुड़,या शहद, नीबू डालकर काढ़ा बनाएं किन्तु बिना चिकित्सक की सलाह के न लें।
                   नीता झा

टिप्पणियाँ

  1. आयुर्वेद ही ऐसी पद्धति है जिसे बीमारी के पहले और बाद और बीमारी के समाप्त होने पर भी निरंतर उपयोग कर सकते हैं

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