प्रकृति का वरदान" हरियाली " - ३ नीता झा
बेल
इस कड़ी में हम आज हम औषधीय गुणों से युक्त " बेल " के धार्मिक, आयुर्वेदिक एवं अन्य उपयोगों पर विमर्श करेंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बेल वृक्ष की जड़ में महादेव का वास बताया जाता है; अतः यह वृक्ष भी परमपूज्यनीय मन जाता है।
भगवान शंकर को अत्यंत प्रिय बेल पत्र का धार्मिक महत्व तो है ही, आयुर्वेदिक महत्व भी कुछ कम नहीं, यही नहीं खाने के अलावा और भी बहुत उपयोगी होते हैं। बेल की पत्तियां, फल, तना और जड़ सभी काम आते हैं।
बेल की पत्तियां ऐसे ही चबाकर खाने पर गले में कफ नहीं जमता आवाज़ साफ होती है।
बेल की पत्तियों को पीस कर, उबाल कर और सुखी पत्तियों को चूर्ण बनाकर समस्यानुसार मिश्री, सोंठ पानी, दूध, शहद इत्यादि के साथ लिया जाता है।
बेल पत्र का सेवन मधुमेह नाशक होता है। बेल में केंसर रोधी गुण भी पाए जाते हैं। बेल का काढ़ा पीने से खून भी साफ होता है।लू लगने पर भी इसका उपयोग लाभप्रद होता है
बेल का फल कच्चा, पका और सुखाकर चूर्ण के रूप में लिया जा सकता है। यह वातनाशक, पाचन संस्थान के लिए अच्छी औषधि है।पुरानी पेचिष, बवासीर में लाभदायक होता है। एसिडिटी में, मुह के छाले में इसके काढ़े से आराम मिलता है।संतुलित मात्रा में प्रसूता बेल का सेवन करने पर स्वस्थ रहती हैं दूध भी बढ़ता है। आयुर्वेदिक औषधि में दशमूल का विशेष महत्व है उसमें एक बेल की जड़ भी है। किसी भी उम्र में होने वाली पसीने की बदबू ठीक करने के लिए बेलपत्र के काढ़े का सेवन करना चाहिए।
बेल के गुदे से पहले कपड़े धोए जाते थे भवन निर्माण में गुड़ और बेल का गुदा मिलाया जाता था, बांस के बने सूप, टोकनी इत्यादि में बेल का गुदा लगाया जाता था जिससे वे मजबूत होते थे साथ ही पात्र से अनाज आदि नहीं गिरता, चित्रकार अपने रंगों में बेल का गुदा मिलते थे इससे चित्र में सुरक्षात्मक परत बनती थी।
साथ ही बेल का शर्बत, मुरब्बा, बेल पाक इत्यादि स्वादिष्ट होने के साथ ही स्वास्थ्यप्रद भी होते हैं। पके बेल को सुखाकर चूर्ण बनाकर उपयोग किया जा सकता है।
इसके अलावा भी बहुत तरीकों से बेल का उपयोग किया जाता रहा है।
इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि बिना चिकित्सकीय परामर्श के कुछ भी प्रयोग न करें सही अनुपात और सही तरीके से लेकर अच्छे परिणाम लिए जा सकते हैं।
नीता झा
Bhut acchi or upyogi jankari
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हटाएंBahut hi achi or upyogi jankari.
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