प्रकृति का वरदान "हरियाली" ४ - नीता झा

प्रकृति का वरदान " हरियाली " ४
                            पान पत्ता
     हमारे यहां पूजा में पान पत्ते का भी बहुत महत्व है। साथ ही अन्य पूजन सामग्री की तरह पान के पत्ते के भी स्वास्थ्यगत अनेक लाभ हैं। 
     पान खाने का सही तरीका और समय हो तो अतिउत्तम। कभी भी पान में कत्था, सुपारी, तम्बाखू,जर्दा, इत्यादि नहीं डालना चाहिए; अन्यथा यह लाभ देने की जगह हानिकारक होगा। पान पत्ता जितना कड़वा होगा, उतना फायदा करेगा साथ ही जितने गहरे रंग का होगा उतना अच्छा होगा। पान को शहद, चुना, लौंग, इलायची, नारियल बुरा, केसर, गुलकंद, छुहारा, सौंफ, यष्ठिमधु इत्यादि के साथ खाना चाहिए। पान में सोने, चांदी के वरक लगाकर  खाने का चलन भी प्राचीन काल से रहा है। यह उसके गुणों को और भी बढ़ता है। पान की गिलौरी के अतिरिक्त सूखे पान पत्ते को मुखवास में डाल कर भी खाया जाता है। साथ ही शर्बत भी बनाया जाता है।
     पान चबाने से, मुह के छाले ठीक होते है। सिरदर्द ठीक होता है। भोजन का पाचन सही हो कर भूख खुलकर लगती है। पान के सेवन से मुँहासे ठीक होते हैं। केल्शियम की पूर्ति के लिए चुना के साथ खाना चाहिए।पान खाने से किडनी को शक्ति मिलती है। सर्दी, जुकाम ठीक होता है। गले की खराश भी ठीक होती है। 
किन्तु हर समस्या के लिए अलग - अलग तरह से पान खाने पर लाभ होगा इसका सेवन  योग्य चिकित्सक से सलाह ले कर ही करना चाहिए ।
             नीता झा

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