"रिश्तों के वेंटिलेटर आने लगे दूर देख से" - नीता झा भाग - 3
पापा मम्मी चले गए वीनू का घर सुना करके। हर जगह उनकी मौजूदगी का अहसास छोड़ कर खैर... धीरे- धीरे नन्हे रुद्र के साथ दोनों की व्यस्तता बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। खुद ही सारा काम करना पड़ता था। अब लगता है वह काफी समय से पापा मम्मी की तरफ उतना ध्यान नहीं दे पा रहा था। जितना देना चाहिए था। कई बार पैसे भेजने में भी देर होने लगी। उन्होंने कभी खुद के लिए वीनू से कुछ नहीं माँगा बस उसी की ज़िद थी पढ़ाई में लिए लोन पटाने के बाद भी वह कुछ पैसे हमेशा भिजवाता रहेगा वीनू की ज़िद का मान रखते थे पर कभी पैसे भिजवाने में देर हुई या नहीं भेजा तो याद भी नहीं दिलाया और "वो सब ठीक है" का चश्मा लगाए धीरे धीरे अपनी जिम्मेदारियों से विमुख होता गया। ऐसा नहीं था की वो उनकी उपेक्षा करता था या सुमि ध्यान नहीं देती थी दोनों जब भी कुछ अच्छा उपयोगी समान पापा मम्मी के लायक दिखता भिजवाते रहते थे। लगातार बातें भी किया करते थे।
एक सुबह मम्मी का फोन आया था पापा बाथरूम में गिर कर बेहोश हो गए थे। मम्मी ने तुरन्त ही पड़ोसियों को बुलाया और किसी तरह आननफानन में उन्हें हॉस्पिटल पहुंचाया वहां पता चला पापा को ब्रेन स्ट्रोक हुआ है जिसकी वजह से ब्रेन के कुछ हिस्से ने काम करना काफी कम कर दिया है। ठीक तो हो जाएंगे पर समय लगेगा वीनू ने बहुत कोशिश किलेकिं चाहकर भी नहीं आ पाया था। मम्मी ने बड़ी हिम्मत से सारी परिस्थितियों का सामना किया ऐसे में मामा, रजत भैया और सभी लोगों ने बहुत मदद की। उसने सुमि को भेजने की बात कही थी पर सबने मना कर दिया उस दिन लगा था वो कितनी दूर निकल आया है।
तभी से मन में बार बार अपने देश, अपने घर वापस जाने का मन होने लगा था। आज पहली बार मम्मी नाराज हुई थीं इससे पहले कभी कुछ शिकायत नहीं की थी लेकिन पिछले कुछ दिनों से उनकी आवाज बुझ-बुझी लगती थी। अब वो पहले की तरफ चहक कर बातें नहीं करती थीं। बस थोड़ी देर में कोई काम का नाम लेकर फोन रख देती थीं। आजकल तो उन्होंने सुमि और रुद्र का हाल-चाल भी पूछना बंद कर दिया था। वे लोग बातें करते तो जबरदस्ती दो-चार वाक्य बोल लेतीं जबकि पहले वो खुद ही वीडयो में काफी देर तक बातें किया करतीं समाज, मुहल्ले, रिश्तेदारों सबकी बातें और कोई घरआए तो उनसे भी बात करवाती रहतीं पापा से कई बार वीडियो में ही उनकी बहस हो जाया करती थी और वीनू लोग उनकी खट्टी-मीठी नोकझोंक के मजे लिया करते थे।
इधर कुछ समय से पापा की तबियत की वजह से और कोरोना वायरस की वजह से सब अस्तव्यस्त होने लगा था। वीडियो कॉल करो तो मम्मी फोन नहीं उठाती थीं। पूछने पर कोई बहाना बना देतीं। पहले तो लगा शायद कोरोना वायरस की वजह से किसी से ज्यादा मिलना जुलना नहीं हो पा रहा होगा इसकारण वो दुखी हैं। उसने कुछ दिन पहले मामा से बात की थी उनकी भी तबियत कुछ ठीक नहीं थी इस कारण वो भी काफी दिनों से मिलने नही जा पाए थे वैसे भी अब सब अपने अपने घर में कैद हो गए थे। बगल वाली पांडे आँटी और अंकल अपने बेटे के घर पूणे गए थे। उनके बेटे ने उन्हें आने नहीं दिया वो फिलहाल वहीं हैं। वापस नहीं आ पाए। कुल मिला कर लगभग सभी लोग मम्मी पापा से दूर हो गए थे। परसों रजत भैया से बात हुई उन्होंने कहा था -"वीनू बुआ लोगों को तुमसे मतलब है यार भाई चाहो तो उनके पास आ जाओ"
" जी भैया मैं भी यही सोच रहा हूं" उसने अपनी मंशा जताई
"जो करना है जल्दी करो"
" क्यों भैया आप ऐसे क्यों बोल रहे हैं, क्या बात है भैया" वह परेशान हो गया था
"कुछ नहीं बस आना ही चाहते हो तो आ जाओ इतना क्या सोचना" और उन्होंने फोन काट दिया था।
तबसे अजीब अजीब से ख्याल आने लगे हैं। जबसे पापा की तबियत बिगड़ी है। वह घर आने की कोशिश में है लेकिन छुट्टी नहीं मिल पा रही थी ऐसे में महामारी ने मुश्किलें और बढ़ा दीं।
वह अपने विचारों में इतना खो गया था की सुमि बगल में आकर बैठी और उसे पता भी नहीं चला।
नीता झा
क्रमशः
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें