अंत भला तो सब भला - नीता झा
कल रविवार है। यानी छुट्टी पूरा दिन घर पर पूरा आराम रविवार का टीवी मतलब मेरी जागीर! मैं चाहे जो देखूं कोई कुछ नहीं कहता ...कोरोना काल का एक अलग पहलू ....वर्ना पहले तो हालत ये थी, कि टीवी के रिमोट को कैसे चलना है ये भी मुझे नहीं आता था। सबका टाइम सेट होता था बस मेरा कोई समय नहीं था। कभी धोखे से टीवी बंद हुआ हो और कोई देखने की हालत में न हो, तो मुझे किसी से कहना पड़ता था -"यार जरा समाचार तो लगा दे"
समाचार....?
हां... देखें क्या चल रहा है
मम्मी समाचार किस नंबर में आता है?
पता नहीं मैं कब देखती हूँ
नानू आए थे तब तो बहुत लगाते थे
वो खुद लगा लेते थे.....बब्बजी से पूछ लो.....या तुम ही सर्च करलो बेटू कभी कभार ही तो पापा देखते हैं! अभी तनीषा आएगी और अपना डांस वाला प्रोग्राम लगा लेगी ....
मतलब जो देखना है जल्दी देख लो फिर मत कहना बताया नहीं .....
हम भी कुछ भी लगा कर बैठ जाते कभी भी कहीं से भी देखना हो तो आसान चेनल वाइल्डलाइफ कोई दिमागी उठापटक नहीं कोई छल कपट नहीं बस कभी भी देख लो जब भी बंद करो तो यह मलाल नहीं की फलां ने फलां को क्या कहा, किसकी सरकार टिकेगी ? कौन करोड़पति बनेगा? किसने, कैसे,किसको मारा ? कौन पतिव्रता है! कौन नाटक कर रही है ? या किसके, कितने दांव-पेंच खैर वो पुरानी बात थी; अब तो पूरे घर में एक हम ही बाहर निकलते हैं..फूल वर्किंग मेन यानी घर आने से वापस ऑफिस जाने तक वीआईपी ट्रीटमेंट!पूरी तरह से संक्रमण से सुरक्षित टिफिन, खूब सारा पानी, नाश्ते वगैरह का बड़ा सा बक्सा गाड़ी तक बाकायदा बेटा रखने आता है। पत्नी पीछे पीछे कुछ एक्स्ट्रा समान, सलाह छलकाती, उसके पीछे बेटी जोर जोर से हाथ हिलती बाय-बाय करती आती है। हम थोड़े डरे थोड़े स्पेशल फील करते चौकन्ने ड्यूटी में निकल पड़ते हैं।
शाम को जब घर आओ फिर बेचारे पूरी तरह सेनेटाइजर कराने के अम्मा बाबूजी से मिलने लायक समझते हैं इसके बाद टीवी का रिमोट ऐसे देते हैं मानो कह रहे हों -" जा सिमरन जी ले अपनी ज़िंदगी " और हम भी सिमरन की स्पीड से जा बैठते हैं। मनोरंजन रथ यानी टीवी के सामने वाले आरामदायक काउच में जिसे हमारी श्रीमति ने अपने किटी से लिया था।
आजकल घर का ही पका भोजन खाना है। इसकारण हम सभी लोग कुछ न कुछ नया पकाते रहते हैं। अम्मा और हमारी श्रीमति ने कब हमारे सारे पारम्परिक व्यंजन बच्चों को बनाना सिख दिया उन्हें पता भी नहीं चला अच्छा लगता है। सबका एकसाथ मिलके कुछ पकाना, मिल बैठ कर खुशी-खुशी खाना।
बुरा वक्त आकर चला जाएगा अपनो के साथ अच्छा, बहुत अच्छा वक्त बिताएं.... ये वही हैं जिनके लिए आप सबकुछ हैं। रिश्ते अच्छे हैं, तो और मजबूत करिए! दरक रहे हैं, तो यही वक्त है;प्यार से तुरपाई कर लीजिए.. और हाँ
सावधान रहें, अपने साथ सबका ध्यान रखें, मितव्ययी बनें नियमो का पालन करके स्वस्थ रहें।
नीता झा
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