कजली तीज - नीता झा

      कजलीतीज
      
सावन के रथ, हो सवार..

आया तीज का त्योहार।

सर पे चुनर, लाल सजे..

मांग गौरसाठ का सिंदूर,

आंखों में, सपने हजार..

माथे में चमके बिंदिया,

गले सजे, हार सजीला..

करधनी के मोती चमके,

जिसमे मनके हजार..

गोरी कलाई, मेहदी सोहे

और चूड़ियां के रंग लाल..

पायल से अलता झांके,

घुंघरुओं संग देते ताल..

सोलह सिंगर कर बैठी

 दुल्हनियां दूल्हे संग 

जैसे गौरी संग बैठे नाथ..


            नीता झा

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