रिश्तों के वेंटिलेटर.…..." नीता झा - भाग - 7
वीनू ने कमला दीदी और मम्मी के साथ मिलकर पूरे घर को व्यवस्थित किया घर में पहले की तरह किराना भी नहीं था। अधिकांश डिब्बे खाली थे। कभी जिन अलमारियों और रैक में सामान रखने की जगह नहीं होती थी वहां जगह ही जगह थी। वीनू ने कमला दीदी से पूछा -"दीदी सारे डिब्बे खाली पड़े हैं। आपलोगों ने खाना पीना छोड़ दिया क्या?"
कमला दीदी ने मुस्कुरा कर कहा " गुस्सा क्यों होता है बेटा अब ये बूढ़ों का घर है। खिचड़ी, दलिया का ही समान मिलेगा यहां। अब तू आ गया सब समान ले आएंगे।"
वीनू ने तब ध्यान दिया शायद वो थोड़ा तल्ख़ हो गया था। उसने बात सम्हाली....
" अरे दीदी मेरा वो मतलब नहीं था पर अभी इतने भी बूढ़े नहीं हुए लेकिन मैं मात्र दो साल बाद यहां आ रहा हूँ और लगता है सब बीस साल बड़े हो गए पापा कितने दुबले, कमजोर लग रहे हैं। कबसे कटिंग, कलरिंग नहीं करवाए हैं।"
कुछ रुक कर बोला चलो मान लेते हैं पापा बीमार हैं, पर मम्मी भी यार....
कैसी हो गई हैं। न हेयर कलर , न ढंग के कपड़े आप ही बताओ दीदी क्या मम्मी को पहले कभी बिना तैयार हुए देखा है ?
और अब जबसे मैं आया हूँ, वही दो जोड़ी कपड़ों में ही दोनों दिख रहे हैं। वो भी बिना आयरन के" कहते-कहते वीनू वहीं कुर्सी में बैठ गया
कमला चुपचाप धुले डिब्बों को जमाती जा रही थी।
वीनू की झुंझलाहट धीरे-धीरे बढ़ रही थी। वह कमला के पास आकर बोला-" पता है आपको मैं हर महीने पैसे भेजता हूँ, इलाज के लिए भी पूरे पैसे दिए ताकि मैं समय में नहीं पहुंच सका तो क्या पर इन दोनों को कोई तकलीफ न हो....
और ये देखो, हमलोग जितना भी समान इनलोगों की सुविधा के लिए भेजते हैं,सबको यहां कबाड़ बनाके रखे हैं।
मैं... कमला डब्बे को वही जोर से रखती हुई दहाड़ी -" क्या समान, पैसा, समान चिल्ला रहा है वीनु बाबू....
समान से सेवा हो जाती तो कोई माँ- बाप बच्चे लोगों को अस्पताल से घर ला के अपना जीवन नहीं होम देते और तू क्या समान लाया है बाबू..जितना तुमलोग बिदेस से समान भेजे हो ना, उससे डबल कीमत का तो हार ही भाभी बहु को मुह दिखाई में दे दी..बात करते हैं।
जब तू तीन बरस का था इतना बीमार हो गया था। बचने की कोई आस नहीं थी, यहां के डॉ लोग हाथ खड़ा कर दिए भैया भाभी लोग वो जो गोल बाजार वाला बड़ा दुकान है ना वो पूरा जमीन बेच दिए नहीं तो चौक से ले के अग्रवाल होटल तक पूरा भैया का ही था। पूरा बेचे और दिल्ली गए तब कहीं तू बचा है। उनलोग तो ये जमीन भी बेच देते क्या करते बिचारे मेरे मास्टर भाई लेकिन बाप दादा का जमीन है करके नही बेचे कर्जा लेके बाकी इलाज कराए।
अब साहब बन गया तो ऐसे बात करता है।" खाली डब्बा दिख गया लेकिन मेरी भाभी कितने दिन भूखी रहकर भैया की सलामती के लिए उपवास की वो नहीं दिखा... कैसे दिखेगा? तू तो था भी नहीं, मैं थी यहां दोनों के सब सुख- दुख को देखी हूँ। तेरी कसम दे-दे के उनको जबरदस्ती खाना खिलाती हूँ।"
अचानक आहट पाकर वीनू ने दरवाजे की तरफ देखा मम्मी दरवाजे का सहारा लेकर खड़ी रो रही थीं।
दोनों जल्दी से उनकी तरफ दौड़े उन्हें बिठाया मम्मी ने कमला की तरफ देखकर एकदम बुझी आवाज़ में कहा-" क्यों कमला इतनी जल्दी हार गईं उस समय कोई भी होता यही करता हमने कुछ नया नहीं किया।"
" और वीनू तुमसे कोई शिकायत नहीं है। समय - समय की बात है। अभी तुम कितनी मुश्किल से आए होंगे पता है मुझे, जब दुनिया महामारी जैसे हालातों से जूझ रही है।
तुम उदास मत होना रही बात तुम्हारे भेजे समान ये सब तुम्हारे पापा अच्छे से चला पाते हैं। जब अच्छे हो जाएंगे फिर चलाएंगे। मुझे पास की चीजें देखने में थोड़ी मुश्किल होती है। तू तो मेरा राजा बेटा है। कहकर उन्होंने वीनू का माथा चूम लिया।
फिर थोड़ा रुक कर बोलीं तुम दोनों इस वक्त मेरी ताकत हो कमजोरी मत बनो....हर बात का सही मतलब निकालोगे तो सुखी रहोगे।
अब जैसे मुझे ऐसे देख रहे हो, तुम्हे बुरा लग रहा है। पर कभी सोचा, मैं क्या सोच रही हूँ ! पता है वीनू, तुम्हारे पापा की हालत शुरू के बहत्तर घण्टे बहुत क्रिटिकल थी। पर उसके बाद काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। तुम तो जानते हो इसमे समय लगता है; लेकिन ठीक भी हो जाएंगे तुम आ गए हो तो काफी ख़ुश हैं। अभी मेरा पूरा ध्यान इनको ठीक करने में है। मैने खुद से वादा किया है। हम इन्हें जल्दी ठीक करके खूब घूमने जाएंगे। बहुत सारी जगह घूमना है हमे" कहते कहते उनका गला भर गया।
" क्यों नहीं मेरी सुपर माँ हम सब खूब घूमेंगे और कमला दीदी भी चलेंगी साथ में वहां भी मेरे साथ झगड़ा करने...
और सब हंस पड़े।
नीता झा
क्रमशः
Bahut hi khoobsurat rachna Dii...
जवाब देंहटाएंRooh ko chhoo gyii...
वाह 💐👌
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