स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं - नीता झा
जो चढ़े थे कभी क़दमो में आपके
वो चेहरे का भाव भी पढ़ना चाहती हूं
जब वधु के जोड़े में खादी पहनी होगी
कितना ओज बिखरा होगा पास आपके
जब अपना सारा सुख न्यौछावर किया
देश की स्वाधिनता की खातिर
सहज ही सर्वस्व त्यागा होगा
बड़े युद्ध तो अंकित इतिहास में
आपका यश कुछ धूमिल हो गया
चाह भी यश नहीं स्वराज्य ही तो था
तभी तो सहज बचपन मे शामिल था
लोरी, कहानी,खेलों से पोषित जज़्बा
यौवन तक आजादी का उद्देश्य बना
फिर सारे सपनो को खुद में समेटे
स्वराज्य का इकलौता सपना था
मानस स्वयं ही उस ओर ले चला
जहां आज़ादी का परचम लहराता
क्या दुविधा दोराहे की न थी समक्ष
या दृढ़प्रतिज्ञ आप सब हो गए थे
तिनका तिनका जोड़ जोड़ तब
तिरंगे की छवि निखारी होगी
कितनी पीड़ा सही होगी गुलामी की
जब जुनून स्वराज्य का फूटा होगा
नवविवाहितों का परछन अद्भुत
जब घर-गृहस्थी के दायित्व नहीं
केसर का परचम थामा होगा
नव वघु ने घर का जिम्मा
अपने कंधे उठा कर फिर
पति को युद्ध मे भेजा होगा
नीता झा
Bahut badhiya 👌👌 Happy Independence Day 🇮🇳
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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