नन्ही पौध के बनने में वृक्ष - नीता झा

नन्ही पौध के बनने में वृक्ष..

कितनी पत्तियां टूटी होंगी।।

कई झंझावात से लड़कर..

नई शाखें लहराई भी होंगी।।

कलियों से फूल, बीज तक..

मौसम की मार सही होगी।।

क्यों उदास होते हो मीत..

छोटी - छोटी बातों में तुम।।

हंसकर टाल सको तो टालो..

झोली कांटो से भरो नहीं।।

क्या कुल्हाड़ी के बनते ही..

वृक्षों ने बढ़ना छोड़ दिया??

उगते फूलों, बीजों को क्या..

अपने गर्भ से न मुक्त किया??

क्या खुशबू से रिक्त हुई कली..

क्या फल के स्वाद बदले कभी??

क्या पथिक छांव न पाते हैं..

क्या सावन में झूले न पड़ते हैं??

फिर बोलो है प्रिय इस जग में..

जरा सी बातों में कैसी उदासी??

उठो, चलो फिर हंसकर हम..

राह नई नवेली फिर चलते हैं।।

उम्मीदें खुशियों की राह ताकती..

हमारे लिए ही तो खड़ी तभी से।।

कुछ उसकी भी तो सुध लेते हैं..

चलो चलें संग खुशियों के हम।।

मिल - जुल उत्तुंग शिखर छूते हैं..

आओ मीत हम मिलकर अपनी।।

मनभावन दुनियां फिर गढ़ते हैं।।
  
"नन्ही पौध को बनने में वृक्ष" यह कविता मैने उनके नाम लिखी है जो अपनी नाकामयाबी पर टूटने लगते हैं। आपका कामयाब या नाकामयाब होना आपको उस एक विशेष स्थान पर लाकर खड़ा तो करता है अपने काफी लंबा समय अपनी उपलब्धि को हासिल करने में दिया है ये अपने आपमे विशेष बात है। कामयाबी से ना को बस हटाना है ना मतलब नकारात्मक ऊर्जा उसे हटाने की जरूरत है फिर आप अपनी सकारात्मक ऊर्जा के साथ वापस बस उसपर मेहनत करिए जो थोड़ी सी कसर रह गई बाकी बहुत कुछ तो आप पहले से ही हासिल कर ही चुके हैं। जितना धैर्य एक नन्ही पौध को वृक्ष बनने में रखना होता है उतना ही धैर्य हमे अपने आपको विशिष्ट बनाने में लगता है। जितनी ऊंचाई होगी तरक्की की मेहनत और परीक्षा भी तो उतनी ही कठिन होगी यह हमारा चुनाव है आनन्द भी हमे मिलेगा तो पहली जिम्मेदारी भी हमारी ही होगी हाँ कुछ भगवान स्वरूप लोग हमेशा हमारे सहयोग के लिए खड़े होते हैं जैसे माता - पिता, गुरु, मित्र, बन्धु- बांधव उन्हें ससम्मान जीवन मे उचित स्थान दीजिए वो आपको कभी अकेला नहीं छोड़ेंगे। 
   नीता झा

  

टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही सकारात्मक कविता दी👌👌👌👌👍👍

    ज़िंदगी में सभी को इतना ज़रूर करना चाहिए, कि अपनी परेशानियों के लिए ख़ुद को, हालात को, या ज़िंदगी को कोसते रहने के बजाय, अपनी ब्लेसिंग्स पे ध्यान देना चाहिए, रास्ते ढूँढने चाहियें ख़ुश होने के,

    🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹
    ज़िन्दगी गुज़र जाती है ये ढूँढने में कि.....ढूंढना क्या है..!!

    अंत में तलाश सिमट जाती है इस सुकून में कि... जो मिला.. वो भी कहाँ साथ लेकर जाना है .. ! चलो ना.....
    जी ले कुछ इस कदर,
    कि लगे जैसे....

    जिन्दगी हमे नहीं,
    जिन्दगी को हम मिल
    गये है...!!🙏🙏

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