पारिवारिक पृष्ठभूमि और शिक्षा का संतुलन - नीता झा

    आज सुबह ही मैं टीवी में देख रही थी संवाददाता बच्चों और अभिभावकों से इस तरह से सवाल पूछ रहे थे जिससे सुनने वालों को लगे कि सरकारी तंत्र बच्चों को परेशान करने के लिए है। 
उन्हें स्कूल नहीं जाने दिया जा रहा है। 

वे काम कर रहे हैं (बाल मजदूरी)
स्कूल की तरफ से उन्हें जो अनाज दिया जा रहा है पूरा नहीं पड़ता
 मतलब आप वैश्विक महामारी को तमाशा बना रहे हैं मैं किसी भी पार्टी की पक्षधर नहीं व्यक्ति को उसकी उपयोगिता से आंकना और वोट देना पसन्द करती हूं क्योंकि साधुओं की भीड़ में सभी साधु ही हों जरूरी नहीं कोई पोषाक से तो कोई अंतर्मन से संत होता है। अबकी अपनी सोच अपना दृष्टिकोण होता है। यदि कोई गलती करता है उस व्यक्ति अथवा सनस्था पर कार्यवाही होनी चाहिए पूरी प्रक्रिया को दोष नहीं देना चाहिए।
    सबसे अहम होता है आप जिस पद पर हैं उसके साथ न्याय करें जो करना है वो करें न कि अपनी दुष्टता से देश समाज को खतरे में डालें।
    कोविड 19 के दौर में कुछ बातों पर गौर करने से किसीको गुरेज नहीं होना चाहिए
    बच्चों की शिक्षा का उद्देश्य क्या क्या है?
    आप कहेंगे उनका सर्वांगीण विकास मतलब मानसिक शारिरीक और बौद्धिक विकास इस काल मे इन्हीं बातों के मतलब सार्थक हुए इसे आप एक उदाहरण से समझ सकते हैं मान लीजिए - मनीषा का स्कूल जाना महामारी के कारण बंद है ऐसे में वह सबसे अधिक समय घर में अपनी मां के साथ रहती है उनके साथ इतना समय बीताती है जितना उसने कभी नहीं बिताया था घर के बाहर नहीं निकलना है स्कूल नहीं जाना है कहीं भी नहीं जाना फिर क्या करेगी अपने परिवार के साथ रहते हुए उनकी तरह जीने लगेगी मतलब अपनी मां के साथ रसोई में रहकर उनका हाथ बटाएगी , उनसे मनपसंद चीजे बनाना सीखेगी, अपनी दादी से पूजा पाठ धर्म-कर्म की बातें सुनेगी, अपने पिता से उनकी व्यवसाय से संबंधित जानकारियां लेगी तथा यथासंभव उनकी मदद करेगी अपने दादा से भी वह कुछ ना कुछ सीखती है अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ भी वह इसी तरह कुछ न कुछ सीखती, समझती है क्योंकि बाहर नहीं निकालना है तो घर में रहकर ही घर को बेहतर तरीके से समझ पाती है साथ ही अपनी शिक्षा के माध्यम से वो उनके काम आसान कडती है। उसे एहसास होता है यह घर उसके लिए कितना महत्वपूर्ण है अपने घर के गमलों को सिंचना और अपने व्यवसाय की बारीकियों को समझना उसके लिए लाभप्रद भी है और उसके जीवन में आई शून्यता को भरने का सुंदर प्रयास भी यह सब भी उसके व्यक्तित्व विकास के अहम अंग हैं। जिनसे उसे जीवन भर संसारिक पोषण मिलेगा यह शिक्षा भी तो उसके लिए आवश्यक है। 
    आर्थिक असमानता के कारण परिवार का मतलब हर किसी के लिए अलग अलग होता है। जो परिवार को विशिष्ट पहचान दिलाता है। हमे किसने हक दिया उन बच्चों से उनकी पहचान छुपाने का देश के नागरिक होने के नाते हम जितना चाहे लोगों की मदद करें लेकिन उनके मूलभूत पारिवारिक ढांचे को छेड़ना गलत होगा बच्चे की शिक्षा का स्तर सुधारना आवश्यक है। फिर बच्चों की क्षमता और रुचि के अनुसार उन्हें आगे की शिक्षा देने पर जोर देना चाहिए, पर्याप्त शिक्षा के बाद उसे धनोपार्जन के साधन जुटाने में मदद करनी चाहिए यह होगा देश हित मे जब पढ़ी लिखी युवा पीढ़ी अपने पिता माता व अन्य परिजनों के साथ स्वस्थ जीवन जी सके जिन्होंने उसे सिंचित किया उनकी वृद्धावस्था को सुरक्षा प्रदान करे।
    इसके लिए उसका अपने पारिवारिक पेशे अथवा कार्यों का अनुभव होना भी आवश्यक है हो सकता है वह अपनी उच्च शिक्षा के साथ साथ अपने पुश्तैनी कौशल से भी आय, शोहरत हासिल करे।
    नीता झा

टिप्पणियाँ

  1. वर्तमान परिस्थितियों का सटीक चित्रण.🙏.वास्तविकता, सीधे दिल को छूती है। बहुत शानदार अभिव्यक्ति।👌👌

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