पापा का दिया गिफ्ट - नीता झा


"पापा का दिया गिफ्ट " में हल्के - फुल्के अंदाज में बेहतर सुविधा से युक्त मोबाइल फोन की बहुत सी अच्छाइयों के साथ ही इसके दुरूपयोग से कई बार बड़ी विकट स्थिति निर्मित होती है इसे व्यंग्यात्मक रूप से दर्शाने का प्रयास किया है।
      शुरू - शुरू में तो सब बढ़िया था फिर एक दौर ऐसा भी आया जब स्मार्टफोन में इंसान कई - कई सिम लेकर मनचाही फेक आईडी बनाकर किसी को भी लुभाते - रिझाते थे। इसी चक्कर मे कभी खुद भी फंस जाते थे। 
  ये तो मनोरंजन मात्र है लेकिन हकीकत में बहुत से परिवारों के विघटन का कारण भी फेक आईडी जैसे आपराधिक प्रकरण रहे हैं।
पापा का दिया गिफ्ट
जीवन मे हुआ है शिफ्ट।।
कभी खुद को तो कभी
जन्मदिन के पूर्वप्रतिक्षित।।
इस तोहफे को कोसते हैं
कितनी आरजू थी मन मे।।
हमारे हाथों में भी फोन हो
 जिसमे हर पल के पिक हों।।
थोड़े बहुत समझदार टाइप
बहुत सेअल्हड़, फक्कड़ दोस्त हों।।
ढेरों लड़कियां, दोस्तों के नाम ऐड हों
खूब सारे झूठ और बहुत सारे।।
खट्टे,मीठे अच्छे,गन्दे अफ़साने हों
पर ये क्या गजब हो रहा है।।
मोबाइल रूपी जासूस हर वक्त
हमारी ही जासूसी करता फिरता।।
हम जो भी कुछ करते हैं 
झट पब्लिक में परोस रहा है।।
अब न सोते चैन न बैठते करार 
तिसपर समझाइशों की भरमार।।
समझ नही आता चूक कहां है
हम जो भी प्लान बनाते हैं।।
घर मे कैसे पता चलता है
हमने अपने मित्रों से पूछा।।
कुछ खुद का दिमाग लगाया
सारे कॉन्टेक्ट को खंगाल लिया।।
एक सन्देहास्पद नम्बर नजर आया
वह सोलह वर्षीय कन्या जो थी।।
हमारा सुख, चैन और करार थी
बकायदे गुड़ मोर्निंग से गुड़ नाइट करती।।
हम भी मन ही मन पत्नी मान बैठे थे
इसलिए सुबह से रात तक सब लिखते थे।।
वह भी खुश हमपे सब लूटने आमादा थी
हमारी हर बुराई उसके लिए अदा।।
हमारी हर ख़ता सिधाई थी
हमारे लिए वो नंबर ही नहीं।।
हमारे पुण्यफल का सार थी
हम फुले नही समाते थे।।
जब भी उससे चैट करते
मिलने का रिकवेस्ट करते।।
वो अदा से टाल जाती
कभी कोई तो कभी कोई।।
अजब गजब बहाने बनाती
खुद के विषय मे कुछ न बता।।
हमारी ही कुंडली बांचती थी
सोसायटी की नई लड़की हो।।
हमे देख मुस्कुराई एक बार
हो न हो ये वही होगी शायद।।
हम पुलकित आशान्वित थे
पूरी पॉकेटमनी कटिंग में उड़ाए।।
ये और बात थी घोसला नाम मिला
कोई बात नहीं पापा को समझते थे।।
घटते केशों, बढ़ती तोंद से पीड़ित थे
खैर, हम पहले प्यार पर सीरियस थे।।
उसके घर पहुचने के जुगाड़ में थे पर
दोस्तों ने कहा यही है फसाद की जड़।।
 जासूसी कर रही है ये मार खिलाएगी
हमारा मन नही माना हम अड़ गए।।
मजनू से परेशान, बहुत उदास हो गए
शेरो शायरी और ग़ज़ल मयी हो गए।।
पर क्या करते दोस्त तो दोस्त हैं
स्याही के दाग से लग गए जान पे।।
तो मरते दम तक चिपके रहेंगे
सो उनकी ओर मन मोड़ लिया।।
खुद उसका दिल न दुखाएंगे कह
सारा लफड़ा उनपर छोड़ दिया।।
वो खुश थे लग गए करने जासूसी
लंबी मगजमारी कर जुगत लगाई।।
ख़ुद को लड़की बता उससे दोस्ती बड़ाई
मेरे मित्र का बुना स्त्री प्रपंच का जाल था।।
वो नम्बर लड़की का नहीं लड़के का था
हम बिखर गए थे पर क्या कर सकते थे।।
अब उस पत्थर को सबक सिखाना था
उसे मिलने के बहाने होटल बुलाया था।।
दोस्त ने मैसेज किया हम कैसे पहचाने
बड़े ही रईस अंदाज में जवाब आया।।
जो नीली शर्ट और काली पेंट में हो
और गले मे सोने की चेन,हाथो में।।
हिरे की अंगूठी और ब्रांडेड चश्मा
 पहचान लोगी अपने आशिक को।।
टेबल न दस में गिरनार आ जाना
तभी माँ खाना खाने को बुलाया।।
खाना खाया चार बजे उठाने कह
हम लेटे जरूर पर नींद न आई।।
जैसे तैसे घड़ी ने सुई सरकाई
हम साढ़े तीन बजे निकलने लगे।।
माँ बोलीं अरे तुम भी कहाँ चले
तुम्हारी भी जरूरी मीटिंग है क्या?
हम सकपकाए हमे भी मतलब?
तुम्हारे पापा भी अभी अभी गए हैं..
छुट्टी भी नहीं देते अर्जेंट बुलाया है।।
बुआ के घर जाना था पर अब क्या
फिर हमारी तरफ उम्मीद से देखा।।
हमने  उम्मीद को अनदेखा किया
और निकल गए होटल गिरनार।।
सारे दोस्त इंतज़ार में बैठे हुए थे
वहां कोने वाली सीट पर जा जमे।।
खुद को छुपाते से अंधेरे कोने में
वेटर नम्बर दस कि तरफ बढ़ा।।
और ये क्या पीछे पीछे पापा थे
दीदी की शादी वाले रईस ड्रेस में।।
हम सभी दोस्त आवक हो गए
तभी दोस्त को मैसेज आया ।।
हम आ गएआपका इंतजार है 
दोस्त ने फोन मेरी तरफ बढ़ाया।।
मैं क्या करता कुछ समझ न आया
और मैने सॉरी लिख ब्लॉक कर दिया।।
बाहर आ कर पापा को कॉल किया
दोस्तों का बाहर खाने का प्लान है।।
वैसे भी घर मे गैस खत्म हो गई है
 डिनर ऑनलाइन ऑर्डर किया है।।
पापा ने बुझे स्वर में कहा ठीक है
बहुत देर मत करना जल्दी आना।।
और कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया 
घर पहुचा तो माँ मुस्कुरा रही थीं।।
गेट खोलते हुए चहक कर कहा
पापा की मीटिंग केंसल हो गई।।
पापा ने मेरा फेवरेट वेज पुलाव
तुम्हारे पसन्द की पनीर मंगवाई।।
और उनकी फेवरेट रसमलाई है
मैन हंस कर चुटकी ली बढ़िया है।।
पिछले हफ्ते मीटिंग्स बहुत थी ना
तो आपका बर्थडे आज हो रहा है।।
पापा के उतरे चेहरे में मुस्कान थी
मेरे मन मे  छत बचाने की खुशी।।
नीता झा

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