मंच को नमन करते हुए २६जनवरी के उपलक्ष्य में मेरी कविता सादर प्रेषित– नीता झा



आ रहा है पर्व प्यारा..
शब्द मोती सजाने की
आस लिए जा रही हूं..
आज मैं छंद में
प्यारे प्यारे रस छंद..
प्यारी प्यारी भावना
सुंदर सी रचना से..
आरती हूं करती मैं
मेरी माता भारती को..
सोहे शेर ओजस्वी
उनकी भी आरती..
कर रही आज मैं
जल थल वायु भेदे..
मेरे भाई निर्भीक
उनको भी नमन ..
कर रही आज मैं
देश चल सकता है..
अपने इरादों से
ढेरों तंत्र ढेरों पार्टी..
लगी रही सेवा में
रत्नों की कमी नहीं..
 मेरी माँ के अंगों में
सदियों से समृद्ध..
 मेरी माँ भारती
 कण कण अमृत..
 पग पग हीरे मोती
 जल थल नभ सब..
 बहे ज्ञान चहुं ओर
 वेद, उपवेद सोहे..
 वाणी में सजे देवी
 कल - कल, छल छल..
 बहे नदी झूमती
 सिंह जैसी सेना वीर..
 बैरियों के सीने चिर
 देख भाल करते हैं..
  माँ के बेटे शूरवीर

 नीता झा

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