मेरे मरे मन की रचनाएं - नीता झा।

कब्र में उग आई घास सी...

मेरे मरे मन से निकली रचनाएं!!

मेरी तड़प,मेरी वेदना की...

जीवंत निशानी मेरी रचनाएं!!

वाह कहो या आह कहो...

मेरे बस में नही ये लिखना!!

लिख लेती हूं मन हल्का करने...

ज्यों उगी मृत देंह टहनी!!

जीवन भर बदन जो लगा था ...

उन्हें चूस लहराती टहनी !!

कब्र में उग आए घास सी...

मेरे मरे मन से निकली रचनाएं!!

            नीता झा

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