मेरी चमक पे न जा ऐ दोस्त
कहकशा हूं तेरे दिल से बहुत दूर
कशीदे से जड़े जो जुगनू मुझमे
वो तेरे ही दिए दर्द के क़तरे हैं
             नीता झा

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