कितना बदल गया
 मिजाज मेरा इन दिनों
खुद की खैरियत भी 
खुद से पूछते डर लगता है
नही शामिल
 तेरे दिलके गुलशन में 
 पता है फिर भी
हूं व्याहता,
 तेरे हर इक पल में
  पैबस्त बरसों बरस
पर यूँ मेहमान से 
पेश आया नही करते 
लाए हो जो इतने शान से
 जीवन मे कभी
दालान में बिठा कर 
खुद किसी ओर के संग
 लम्हे बिताया नही करते
अदब से न बिठाओ तो
 देर तक रुका नही करते
हम इज्जतदार हैं जनाब
 यूँ नही मिला करते
कुछ तो बात होगी हम में
के तुम्हारे कुनबे को 
तमाम दुनिया 
देखने के बाद
 हम ही मिले
चलो कुछ भरम रहा होगा 
मान लेते हैं
हो हमसे बेजार तो यूँ 
हमे प्यार का भरम तो न दो
आओ चलें उस जहां में 
जहां तुम तुम नही मैं मैं नही
हम हो कर जी लेते हैं 
पर वहां तीसरा कोई और नही,
तीसरा कोई और नहीं
               नीता झा

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