कुछ दर्द रुलाते जाते हैं
कुछ दर्द रुलाते जाते हैं
कुछ ज़ख्म न भुलाए जाते हैं
टूट रही मन की माला और
मनके बिखरे जाते हैं
कुछ दर्द रुलाते जाते हैं
कुछ ज़ख्म न भूलें जाते हैं
हर सख़्श मुझे यूँ घूर रहा
हर राज नजऱ से पूछ रहा
रो रही आँखे जब मेरी
जहां मुझे हंसने को बोल रहा
जल रही आशाओं की नगरी मेरी
यार हाथों में मशाल लिए खड़ा
इतनी बस आशाएं जीवन से
प्यार के बदले प्यार मीले
टूट रही अभिलाषा धोखे में
मेरे गले छलावे का हार सजे
नीता झा
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