तुम ही हो - नीता झा।

मेरी मेहंदी, मेरी चूड़ी, मेरी बिंदिया तुम ही हो...

मेरे सारे कहकहे और मेरे सपने तुम ही हो।।

मेरे प्रियतम, मेरे राजा मेरी शान भी तुम ही हो...

मेरे सारे रिश्ते नाते उनकी मर्यादा तुम ही हो।।

मेरे साजन मेरे सारे जीवन की परिभाषा तुम हो...

मेरी अल्हड़ उम्र के पहले मीत तुम ही तो हो।।

जो जीता खुशियों में मेरी वह भरोसा तुम ही हो...

सात वचन से बांधा बाबा ने जिससे तुम ही हो।।

मान रखे जो वचनों का वो विश्वास भी तुम ही हो...

मेरे बच्चों के पोषक, प्रथम शिक्षक तुम ही हो।।

उनके अनगढ़ मानस को जो गढ़े वो तुम ही हो...

खुशियों को जो कृतसंकल्पित वो तुम ही हो।।

जिसके लिए किए सोलह श्रंगार वो तुम ही तो हो...

नीता झा

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