होली - नीता झा
सात रंग की होली आई..
कुछ सहमी दादी घबराई।।
दौड़ दौड़ बच्चों को खिंचे..
दिन भर उसके पीछे भागे।।
कभी लपक हाथों को धोती..
कभी जबरन मास्क लगाती।।
रंग - गुलाल न पिचकारी..
आई देखो कैसी महामारी।।
पर बच्चे तो ठहरे बच्चे..
हर आफत से बच जाते।।
जब भी नज़र उनसे हटती..
कुछ शैतानी उनको सूझती।।
रंगों का त्योहार है....
नन्हे बच्चों की हैं छुट्टियां....
कुछ धमाचौकड़ी, कुछ शरारत....
बस सब हो सुरक्षित हदों के भीतर...
आप सभी को होली की बहुत बहुत बधाई....
नीता झा
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