गुलमोहर यानी स्वर्ग का फूल - नीता झा


रसोई से आज फिर बर्तनों की आवाज़ आई इस वीराने में भला कौन रोज बर्तनो के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्शाता है कौन हो सकता है?
कितनी आवाज़ें देंने पर भी कभी कोई प्रत्युत्तर नहीं आया....
सम्भवतः बिल्ली होगी.....
निसन्देह बिल्ली ही है....
बड़ी मुश्किल से उठने की कोशिश करती हुई पलँग से उतरना  चाहा लगभग घिसटती हुई दो कदम चलीं कि बड़े जोरों से चक्कर आया घबरा कर वापस पलँग में लगभग गिरती हुई पड़ गईं।
  आंखें नम हो गईं उन्हें पाठक जी की याद हो आई अभी महीना भर भी तो नहीं हुआ है। उन्हें गुज़रे..... परसों मासिक है। इतने भले चंगे खुशमिजाज आदमी उस दिन सुबह सब्जी लेने निकले थे। थैला भरकर सब्जी लाकर खुद ही पानी मे नमक डालकर भिगो दिया और सुलभा जी के आवाज़ देने पर टेबल में सेनेटाइजर की बोतल रखते हुए बोले -" वाह चाय के साथ गर्म पकौड़े.....
कुर्सी खींचते हुए बड़े प्यार से अपने पास बिठा कर साथ मे नाश्ता किया।
सुलभा जी सिंक में बर्तन रखने गईं कि तभी उन्हें कुछ गिरने की आवाज़ आई पाठक जी को दिल का जबरदस्त दौरा पड़ा था।
  एक ही पल में सब कुछ बदल गया था। कोविड टेस्ट हुआ पता भी नहीं चला दोनों पॉजिटिव थे। उन्हें भर्ती कर दिया गया था। किसी तरह उनकी इकलौती बिटिया सृष्टि ने परिजनो के साथ अंतिम क्रियाकर्म किया।
  तीन दिन हुए उन्हें घर आए पाठक जी के बिना घर काटने को दौड़ता है।
सबसे फोन में बातें होती हैं किंतु मिलना नहीं हो पाता।
   घर की सफाई करते हुए सृष्टि ने भी बर्तनों की आवाज़ सुनाई औरदौड कर रसोई की तरफ गई वहां कोई नहीं था लेकिन रसोई की खिड़की से गुलमोहर से झूमती - इठलाती हवा बेखटके रसोई में प्रविष्ट हो रही थी। खिड़की के पास खड़ी  उसे पापा कीबात याद आ गयी  गुलमोहर के पौधे को आंगन में लगाते हुए पापा बोले थे-" तुम्हे पता है;   इस पौधे का नाम क्या है?

जी पापा गुलमोहर...

शाबाश....

अब बताओ इसका मतलब?

मुझे नहीं पता ..

उसने मासुमियत से जब कहा तो पापा ने हंसते हुए कहा -"गुलमोहर मतलब स्वर्ग का फूल....

और उसके सिर में हाथ फेरते हुए बोले मैं रहूं न रहूं यह मेरा अहसास कराता रहेगा....
नीता झा

     

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