जो बीत गया वो ठीक नहीं - नीता झा

जो बीत गया...
वो ठीक नहीं था!!
कहने की बारी तेरी...
सूखी बेल का फल है तू!!
अस्तित्व निखारने की बारी तेरी...
सम्भावित लतिकाएँ अनगिनत!!
फूल, फल, बीज आच्छादित...
मुझ सूखी लता से पृथक!!
हरित भविष्य की धात्री...
तू मेंरी तरहा पथिक!!
दुर्गम पड़ाव है डेरा...
मैं ठहरा समय!!
पुराना...
रीता!!
जो ...
बीता!!
वो मैं था...
जो तुझमे है!!
वो मैं ही तो हूं...
सँवार, जतन से!!
फिर चाह से मुझको तू...
मैं कह ना कभी पाऊं तुझको!!
जो बीत गया वो ठीक नही...
जो बीत गया वो ठीक नहीं!!
नीता झा

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