यार तू पूरी पूरी किताब हो गई - नीता झा

यार तू पूरी पूरी किताब हो गई

मुझे चिंता नहीं रहती तू जो थी
अब तू नहीं ये दुख भारी दे गई
यार तू पूरी पूरी किताब हो गई

हमारी ताउम्र की वो यादें सारी
हर्फ़ दर हर्फ़ जेहन में सिमट गई
यार तू पूरी पूरी किताब हो गई

मेरी रोज़मर्रा की आदत से तू
यादों के पन्नो में पैबस्त हो गई
यार तू पूरी पूरी किताब हो गई

कई दफा भूल जाती हूँ तू नहीं
 फोन उठा सहसा याद आ गई
यार तू पूरी पूरी किताब हो गई

नीता झा
मेरी प्यारी दोस्त को सादर समर्पित 

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