यार तू पूरी पूरी किताब हो गई - नीता झा
यार तू पूरी पूरी किताब हो गई
मुझे चिंता नहीं रहती तू जो थी
अब तू नहीं ये दुख भारी दे गई
यार तू पूरी पूरी किताब हो गई
हमारी ताउम्र की वो यादें सारी
हर्फ़ दर हर्फ़ जेहन में सिमट गई
यार तू पूरी पूरी किताब हो गई
मेरी रोज़मर्रा की आदत से तू
यादों के पन्नो में पैबस्त हो गई
यार तू पूरी पूरी किताब हो गई
कई दफा भूल जाती हूँ तू नहीं
फोन उठा सहसा याद आ गई
यार तू पूरी पूरी किताब हो गई
नीता झा
मेरी प्यारी दोस्त को सादर समर्पित
Bahut hi barhia 👌👌👌
जवाब देंहटाएंKavita ka ek ek shabad 😔man ko chhoo gya🙏🙏
जवाब देंहटाएंशब्द रचना भावनाओं 😔को भेदती सरल सुबोध अभिव्यक्ति.....🙏🙏
जवाब देंहटाएंटीस की अनुभूति से सराबोर कविता
जवाब देंहटाएंक्या बात है
जवाब देंहटाएंBahut achhi kavita
जवाब देंहटाएंलाजवाब.....
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