कुछ गमले हरेभरे राहत लिए - नीता झा

कुछ गमले हरेभरे राहत लिए...

मेरे आंगन की शोभा बढ़ाते।।

अपनी कोमल टहनी से देते...

खिली सुबह भेंट रंग रंगीली।।

अलसाई अलसुबह उनींदी...

 दर्शन सूर्यदेव के करती हूं।।
 
पास हवाओं संग बतियाते...

झूम झूम मुझे देख दर्शाते।।

किसलय की कोमल बाहों से...

ताजे सुवासित फूल मुस्कुराते।।

जब भी इनके पास मैं जाऊं...

मेरी थकन ये झट हर लेते।।

कुछ गमले हरेभरेे राहत लिए...

मेरे आंगन की शोभा बढ़ाते।।

फुदक-फुदक चिड़िया आती...

तितली भी फूलों पे मंडराती।।

इन्हें देख नन्ही किलकारी जब...

मचल मचल गोदी से फिसलती।।

मेरे सारे जीवन को बड़े प्यार से...

माँ रूपेण प्रकृति रानी संवरे।।

कुछ गमले हरेभरे राहत लिए...

मेरे आंगन की शोभा बढ़ाते।।

नीता झा

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