रिश्तों की डोर - नीता झा।
अपना ही साया दूर होने लगे।।
रुको जरा सा विश्राम करो..
फिर मनोयोग से सुलझाओ।।
कुछ सलवटें ही तो हैं कुछ..
गांठें ही तो हैं ठीक होंगी।।
रिश्ते में तकलीफ ही नहीं..
बेशुमार हंसी पल भी गुजारे।।
उन्हें वापस जीवन मे लाओ..
ज़िन्दगी फिर खुशनुमा होगी।।
प्रायः हमारे आसपास अपने से रिश्ते टूटने - चटखने की मनोदशा में दिखते हैं। उन सभी अपनो को बिखरते देखना बड़ा पीड़ादायक होता है। जब हम उन्हें महसूस करके इतने उदास हो जाते हैं तो उनकी तकलीफों का सहज ही अंदाज लगाया जा सकता है।
हर रिश्ते की बनावट ठीक आंखों की तरह एक सी मालूम पड़ती हुई किंतु सर्वथा भिन्न होती है। ऐसे में सभी को अपने अपनों को समझने के लिए पूर्वाग्रहों से मुक्त होना पड़ेगा सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए अपने दाम्पत्य जीवन का ईमानदारी से स्वयं निरीक्षण करके जहां भी किसी भी तरह की कमी है या जहां अधिकता है। उन सभी भावनाओं, कर्तव्यबोध, आर्थिक, शारीरिक अथवा मानसिक स्थितियों में संतुलन बनाने पर ध्यान देना चाहिए।
अपने साथी का चयन पूरी दुनियां से चुन कर आपने और आपके अपनो ने किया है। तो कोई तो खासियत उनमें होगी ही कभी - कभी परिस्थितियों की प्रचंडता रिश्तों के माधुर्य को खंडित करने लगती हैं। अपने साथी की खूबियां खराबियां लगने लगती हैं तब दोनों की ईमानदार कोशिशें सहजता से सब कुछ सम्हाल लेती है किंतु इस समय किया गया असहयोग या उदासीनता आपके साथी को आपसे और दूर ले जा सकती है।
चन्द लम्हे गजरे की शक्ल में लाया..
उन्होंने जुल्फों को इतर से नहलाया।।
बात थी ही नहीं कुछ भी बीच हमारे..
इक मुस्कुराहट ने मंज़र बदल दिया।।
हम थे खामोश बात दिल की ही थी..
वो सहर भर मुझे खामोश सुनती रही।।
विशेष परिस्थितियों को छोड़ दें तो अधिकांश रिश्ते खुद से ज्यादा दूसरों की दखलंदाजी से बिगड़ते हैं। ये तब होता है जब वयस्क जोड़े अपरिपक्वता का परिचय देते हैं। शादी का मतलब ही होता है दो लोगों का पवित्र बंधन में बंधना बंधन मतलब वचनों की रेशमी किंतु मजबूत डोर, पवित्रता सिर्फ तन की नहीं साथ ही मन भी पवित्र होना चाहिए विचार पवित्र होने चाहिए तभी तो अपने व्यक्तित्व से वो पवित्रता, प्रेम बंधन का उल्लास और समर्पण की मुस्कान दिखेगी और यह सारे अनुबंधात्मक भाव समान रूप से पति - पत्नी पर लागू होते हैं।किसी के लिए कम या किसी के लिए ज्यादा नहीं वैवाहिक सम्बन्धों में संतुलन का बड़ा महत्व होता है।
कहने को था तो बहुत कुछ
पर मौन संवाद भी जरूरी था
हंस दिए तब हम नजरों से
उन्हें भी मौन संवाद पसंद था
सही संतुलित रिश्ते में पारदर्शिता कभी उतना ही महत्व है जितना कुछ अनावश्यक बातों को न बताने का भी परिवार और एक दूसरे के बीच होने वाले सम्पूर्ण विषयों पर शान्तिपूर्वक चर्चा करना अत्यंत आवश्यक है किंतु एक ही बात या विषय पर लंबी और पक्षपातपूर्ण चर्चा गम्भीर बहस का कारण हो सकती है। अतः जब भी पति पत्नी घर परिवार या बच्चों, बुजुर्गों या अन्य विभिन्न विषयों पर चर्चा करें तो शांत मन से गम्भीरता पूर्वक मित्रवत साथ ही सद्भावनापूर्वक चर्चा करें कभी भी अपने साथी को कमतर न आँकें यदि वो कुछ अनुचित व्यवहार करें तो सबसे पहले उस व्यवहार के पीछे छिपे कारण को जरूर जाने प्रायः अव्यक्त, अनकही बातें रिश्तों को नीरस बना देती है। अपने साथी के साथ चाहे कितने भी व्यस्त हों गुणवत्तापूर्ण समय बिताएं इसने अपनी भी और उनकी भी खुशी का ध्यान रखे समय दोनों के लिए रुचिकर होना चाहिए ऐसी ही छोटी छोटी कोशिशें जीवन भर रिश्तों को खुशनुमा बनाए रखती है।
चन्द अल्फाजों की थी बात..
हमारे रिश्ते फिर संवर गया।।
हमने मुस्कुरा कर की बात..
खुश कर गए सुलझते रिश्ते।।
नीता झा
👌👌👌👌👌👌👌👌👌आप के लेखन की कला का कोई जबाब नहीं है दी ।सत्य के साथ सादगी और सरलता के साथ भावाभिव्यक्ति करने का अद्भुत अंदाज ।।👍👍👍👌--आप का ह्रदय से नमन ,वन्दन ।।
जवाब देंहटाएं🥀शुद्ध सकारात्मक सोच का ही सिलसिला है जिंदगी |
कमियाँ ही देखते रहे तो फिर बस गिला है जिंदगी |
एक मोड़ पर आकर उम्मीदें परवान चढ़ती ही है |
सच में ये आशाओ की आधार शिला है जिंदगी ||🥀