योगाभ्यास और स्वास्थ्य - नीता झा
योग भगाए रोग"
श्रेष्ठ कर्म युक्त जीवन मिले,
जब काया रहे निरोग"।
हमारी प्राचीन स्वास्थ्यगत विधाओं में योग एवं खेलों का विशेष महत्व रहा है। ऊर्जावान स्वस्थ जीवन की आधारशिला ही योग एवं खेलकूद हैं।
खेल और योग को यदि बचपन से बच्चों के जीवन में सम्मिलित किया जाए तो उनके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास होता है। जिससे उनपर उचित प्रभाव पड़ता है।
गुनगुने जल का उखड़ू बैठ कर सेवन करने के पश्चात शौचादि से निवृत हो कर खाली पेट रह कर , प्रातःकाल किया गया योगाभ्यास तथा विभिन्न खेलों का अभ्यास अभ्यासियों को श्रेष्ठ परिणाम दायक होता है।
देखा गया है कि ऐसे बच्चे बचपन से ही अनुशासित, ऊर्जावान, कर्मठ, फुर्तीले और आशावादी होते हैं जिससे वे जीवन मे आने वाली परेशानियों तथा चुनोतियों का सहजता से सामना करते हैं।
योग तथा खेलों का प्रशिक्षण कुशल प्रशिक्षक की देख - रेख में होना चाहिए जिससे बच्चे की आयु, शारीरिक क्षमता, के साथ ही उचित, अनुचित आहार - विहार का समुचित ध्यान रखा जा सके अन्यथा गलतियों से हानि भी हो सकती है।
कुशल पेशिक्षक के पास यदि भूलवश कभी कोई परेशानी हो जाए तो कुशल प्रशिक्षक उन्हें ठीक भी कर सकते हैं।
हर उम्र में योग तथा खेलों का बड़ा महत्व होता है। किन्तु विभिन्न अवस्थाओं, क्षमताओं के अनुरूप ही योगाभ्यास तथा खेलों का अवश्य चयन किया जाना चाहिए।
अभी कोविड की महामारी काल मे सभी लोग ऑनलाइन ही योगाभ्यास तथा कुछ खेला करें तथा दूर रहकर भी एक दूसरे से जुड़े रहकर इस विपत्ति का सामना कर सकते हैं।
नीता झा
पारिवारिक
योगाभ्यास केंद्र
रायपुर, छत्तीसगढ़
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