ये रिश्ते - नीता झा
गुंथी है माला प्यार की।।
न बिखरे इसे ध्यान दो…
मिलकर इसे सम्हाल लो।।
हर मोती हैं बेशकीमती...
छुटकी हो या लाल हो।।
बिखर गए तो क्या करोगे...
सारे तुम्हारे जान से प्यारे।।
जोड़ लो बढ़कर फिर से...
अपने रिश्तों के मनके।।
सुलझाना ही तो है बस...
सुलझ जाएगा सारा कुछ।।
बस इत्मीनान से वक्त देदो...
कुछ जो ठीक नहीं खुद में।।
कुछ मीत की कमियों पर...
घुलमिल कर तुम काम करो।।
बड़े जतन से फिर हौले हौले...
दोनों अन्तस् पर ध्यान धरो।।
बनाओ प्रीत की फिर से डोर...
बड़े जतन और प्यार से।।
गंथो हीर माला दोनों प्यार की...
कभी न बिखरे ध्यान दो।।
जी हाँ वो प्यार भरा रिश्ता, वो कसमो भरी बातें, मुलाकातें वो कभी न बिछड़ने का प्रयास कैसे धीरे - धीरे अपना स्वरूप बदलने लगता है । समय पर ध्यान न दें तो कोई नितांत अपना हमसे दूर होने लगता है। सम्बन्ध चाहे कोई भी हो, रिश्ता चाहे जितना भी निकट का हो जब बना है तो एक मजबूत ढांचा तो होगा ही फिर पति - पत्नी का रिश्ता तो सबसे मजबूत भी और सबसे नाजुक रिश्ता होता है।इस रिश्ते को बाहरी नमी से बचाइए यानी अपने अंतरंग रिश्ते में बाहरी लोगों को अनावश्यक न आने दें फिर वो चाहे आपके रक्त सम्बन्ध ही क्यों न हों पति - पत्नी दोनों के अपने अलग अलग परिवार होते हैं। आपस मे दोनों के परिवारों को लेकर भावनाएं भी अलग अलग होती हैं किंतु एक समानता होती है जिसे नकारा नहीं जाता वो ये की दोनों के अभिभवकों की उम्र बढ़ने के साथ ही आप दोनों की जिम्मेदारी बढ़ती भी है और लगातार बदलती भी है।
जब नई - नई शादि होती है सबका प्यार संरक्षण मिलता है फिर धीरे धीरे छोटे भाई बहन बड़े होने लगते हैं तब उनको सही दिशा दिखना, उनको समझना आपका काम होता है।
इन्ही सारी परिस्थितियों के साथ चलते चलते समय इतनी तेजी से बदलने लगता है। जो माता - पिता कभी आपकी ताकत हुआ करते थे अब उन्हें आपके शारीरिक, मानसिक कभी कभी आर्थिक सहारे की जरूरत पड़ती है।
प्रायः कभी न कभी ऐसी परिस्थितियों से दोनों परिवार जूझते हैं। इस समय यदि रिश्ते में संतुलन न बनाया जाए तो मजबूत से मजबूत रिश्ते भी दरकने लगते हैं।
जीवन पल प्रतिपल परिवर्तित होता है। आज जो परेशानी है कल ठीक भी हो जाएगी रहेगी तो बस यादें जिनकी बुनियाद पर भविष्य के रिश्ते सूखते, पनपते हैं।
तो हमेशा ये रिश्ता कभी न बिखरे इस बात का ध्यान रखे।
नीता झा
बहुत सटीक
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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