झूम उठी तब धरती माता - नीता झा
धरती माँ के हर इक कोने पर।।
स्वागत को आतुर माँ प्रफुल्लित..
रिमझिम झड़ी में स्नान कर फिर।।
विविध रंगों के फल, फूल सजाए..
हरित सुगंधित, परिधान सुसज्जित ।।
भक्ति भाव से अगवानी करती माँ..
अपने आराध्य का ध्यान लगाती।।
सावन यानी सात्विकता का मौसम है। सावन के आते ही त्योहारों की शुरुआत हो जाती है। सावन सोमवार को महादेव पार्वती की आराधना का दिन होता है। पार्वतीमाता स्वयं प्रकृति हैं। सम्पूर्ण जगत वही हैं। और महादेव विनाश के स्वामी सही भी है। जब भी प्रकृति को रूष्ट किया बाढ़ आई, बादल फटे, भूस्खलन हुआ कभी भूकम्प आया और हम सब संतुलित रहा तो चहुं ओर सावन में उत्सव ही उत्सव मने। जिन पांच तत्वों से प्रकृति का निर्माण हुआ है उन्ही पंच तत्वों से हम भी बने हैं तो सामान्य सी बात है जो नियम प्रकृति के लिए बने हैं। सारे हमारे लिए भी तो हैं। जितना नियमित जीवन होगा उतना जीवन आनन्दमय होगा।
सावन के मौसम में अपने आहार - विहार पर सम्पूर्ण नियंत्रण होना चाहिए। साफ - सफाई का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। बरसात में संक्रमण बढ़ने का खतरा भी अधिक होता है। इस मौसम में गर्मी थोड़ी कम जरूर होती है किंतु उमस से पसीना बहुत आता है। अपने भोजन में अच्छी तरह साफ लिए फल, सलाद इत्यादि अच्छे होते है। इनका अधिक से अधिक सेवन करे साथ ही पानी तथा अन्य सेहतमंद पेय जैसे सुप, जूस, पतला दलित, खिचड़ी, ताजा छाछ, हल्दी दूध इत्यादि का सेवन करें। बरसात के दिनों में पानी उबाल कर पीना चाहिए। गरिष्ठ, बासी तथा मांसाहार इत्यादि से परहेज़ करना उचित है। कुल मिला कर जो भी खाएं सुपाच्य खाएं। समय पर खाएं और अपनी शारीरिक व्याधियों को ध्यान में रख कर खाएं।
स्वस्थ रहें और बारिश का आनन्द लें.....
झूम उठी तब धरती माता..
बदरा स्वर ऊंचे लगा रहे थे।।
ताल साथ देती हरियाली..
पवन देव भी मचल रहे थे।।
हुआ आगमन बूंदों का जब..
सागर तट भी छलक उठे थे।।
नीता झा
बहुत जानकारीयों ,से भरा रोचक आलेख एवम
जवाब देंहटाएंसुंदर,भावपूर्ण सावन का स्वगत गान।