मित्रता दिवस की शुभकामनाएं - नीता झा



अपनी बचपन की दोस्त छोटी की बहुत याद आ रही है। उसकी कमी बहुत खलती है। बीता समय और बीते लोग कभी लौट कर नहीं आते लेकिन हमारी यादों में हमेशा हमेशा के लिए बस जाते हैं। उम्र बढ़ते बढ़ते हम कितने अनमोल रिश्ते खोते जाते हैं। 
 कभी उम्र को पलटकर देखती हूँ तो कितना कुछ बदला हुआ लगता है। लेकिन बहुत से नए रिश्ते बनते हैं नन्हे नन्हे हाथों से मजबूती के साथ मेरी उंगलियां पकड़ते, किलकारी भरते कभी रोते - सुबकते मानो समझा रहे हों पल - पल परिवर्तित होते जीवनचक्र अपनी गति से चल रह है। न रुको बढ़ते चलो उन सभी अनमोल रिश्तों पर नेह निछावर करते मेरे सभी अपने अपनो को सादर अभिवादन के साथ ही मित्रता दिवस की शुभकामनाएं 
नीता झा

टिप्पणियाँ


  1. ..जिसके साथ खून का सम्बन्ध नहीं होता, फिर भी प्रिय लगे..
    *वह है👬मित्र👬*
    जिसके साथ दुनियां भर की बातें करके भी थकान ना लगे ....
    *वह है👬मित्र👬*
    जिसके साथ छोटी सी बात पर भी खुल कर हंस लेते हैं...
    *वह है👬मित्र 👬*
    जिसके कंधे पर माथा रख कर रो सकते हैं ....
    *वह है👬मित्र👬*
    जिसके साथ ठंडी चाय भी एक दम गरम लगे ....
    *वह है👬मित्र👬*
    जिसके साथ खिचड़ी भी खाने में दावत जैसी लगे....
    *वह है👬मित्र👬*
    जिसको आधी रात को भी उठा कर दिल की बात कर सके....
    *वह है👬मित्र👬*
    जिसके साथ बिताए गए पलों को याद करने भर से, चहरे पर मुस्कान आ जाए.......
    *वह है👬मित्र👬*
    जिसके साथ कोई भूमिका बनाए बिना खुल कर बात करें और वह स्वीकार करे .....
    *वह है👬मित्र👬*
    एक अरसे के बाद भी जिसको मिलते ही दिल झूमउठे....
    *वह है👬मित्र👬*
    दूर रहते हुए भी जिसके साथ दिल के तार जुड़े हो.....
    *वह है मित्र 👬*
    दोस्ती वो है मेरे दोस्त जो बेजान जिंदगी में भी जान डाल दे..
    *वह है मित्र👬

    वक़्त के साथ - साथ हालात बदलते जाते हैं! दीदी 🙏🙏आपने बिलकुल सत्य रूप सामने रखा है 🙏बढ़ते चलो apne अनमोल रिश्तों पे स्नेह न्यौछावर करते हुए 💕💕💕💕बहुत ही बढ़िया रचना.. 🌹👌👌👌👌

    🙏🙏🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

निपूर्ण योग संस्थान रायपुर छत्तीसगढ में योग दिवस - नीता झा

योग के लिए खुद को तैयार कैसे किया जाए - नीता झा

निपूर्ण योग केंद्र