स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं - नीता झा
स्वतंत्रता दिवस हर भारतीय के लिए युगों - युगों तक मनाया जाने वाला त्योहार है। जब देशभक्ति से ओतप्रोत गाने चारों ओर से सुनाई देते हैं। नन्हे नन्हे बच्चे अपनी पोषाक पहने। हाथों में छोटे - छोटे तिरंगे लिए शान से चलते हैं तब लगता है; नन्हे पंछी खुले आकाश में उड़ने को पर तोल रहे हैं।
बड़ों को लगता है बच्चे छोटे हैं उन्हें कुछ नहीं आता किन्तु मुझे लगता है वे बड़ों से ज्यादा हर बात को समझते हैं। वो वही समझते हैं जो देखते सुनते और सिखाए जाते हैं। एक स्थूल मांसपिंड से शुरू किया सफर ४, ५ साल के बच्चे तक आते आते लगातार तीव्रगति से कुछ न कुछ सीखता ही रहता है बिना रुके जो कभी अपने से करवट भी नहीं ले सकता वो यदि आपके सर दर्द पर आपके माथे में अपना नन्हा हाथ रखता है। आपकी आंखें नम होने पर स्वतः ही आपके आंसू पोंछ लेता है आप उसे कैसे कह सकते हैं बच्चे नही समझते। हाँ ये और बात है वे चालाकियां, छल, कपट, लड़ाई, द्वेष, ईर्ष्या जैसे भावों से रीते होते हैं। उनमें गजब की नकल करने की क्षमता होती है तो जो वो अपने आस पास देखते हैं वैसे ही बन जाते हैं।
ऐसे में बड़ों की ज़िम्मेदारी बनती है उन्हें सही दिशा देने को उन्हें अच्छे को अच्छा और बुरे को बुरा बताने की अपनी सुविधा से नहीं वास्तविकता से उनका मार्गदर्शन करने की। देश कागजों में आज़ाद तो हो गया सन१९४७ में ही लेकिन आज़ाद भारत की गरिमा की वापसी अभी बाकी है। बहुत सारे काम हो रहे है आज़ाद भारत को सही स्वरूप देने के लेकिन इसमे सम्पूर्ण सफलता तो तब मिलेगी जब हर कोई एक विचार और एक मत से देश का सम्मान करें देश हित के लिए स्वंय को तैयार करे। जाती - धर्म, राजनैतिक वैमनस्यता, वर्ग भेद जैसे भाव आपस मे ही उलझा के रखते हैं। इन सबसे ऊपर उठ कर सबको शिक्षा का समान अधिकार दिलाना चाहिए तब कहीं देश सही मायने में कदम से कदम मिलाकर चलने वाले ऊर्जावान योग्य लोगों का देश होगा मानसिक आज़ादी अभी भी आनी है।
हमे आशान्वित होना चाहिए अब इस दिशा में भी सार्थक प्रयास हो रहे हैं।
नीता झा
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