हमारे प्राचीन ऋषियों के कठोर तप से प्राप्त अथाह ज्ञान का यदि एक पासंग भी हम समझ पाए तो जीवन सार्थक हो जाएगा भयत गर्व होता है। वायु एक छोटा सा शव्द ठीक ॐ या माँ की तरह विशाल, व्यापक हमारे जीवन की उतपत्ति के आधार पंच तत्वों में से एक जो हमेशा हमारे स्थूल से लेकर सूक्ष्म शरीर मे पांच तरह से विद्यमान होते हैं जिनका संतुलन निश्चय ही सम्पूर्ण स्वस्थ के लिए आवश्यक है। जो दृष्टिगोचर न होकर भी हमे सदैव संचालित करे उन्हें हम आदर देते हैं। फिर वो जड़, चेतन, दृश्य, अदृश्य हो यही तो हमारी ऋषि परम्परा की सबसे बड़ी विशेषता है। उनका गहन अध्ययन और उससे अर्जित अद्भुत ज्ञान जब हम पूरी श्रद्धा से जिज्ञासु भाव लेकर ग्रन्थों का अध्ययन करते हैं तब बहुत से रहस्योद्घाटन होते हैं।

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