अपनी जिम्मेदारी समझें। - नीता झा।
ऐसे तो कुछ वर्षों से जनमानस में वैचारिक परिवर्तन होना शुरू हुआ है। ये जागरूकता देश हित मे है। देश की अस्मिता की रक्षा हर हाल में होती रही है... आगे भी होती रहेगी। अब हमें भी दर्शकदीर्घा से हट कर अपनी जिम्मेदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। किसी की निंदा करने तक न रह कर हमारे पूर्वजों ने जो महान ग्रन्थ लिखे दुनियां को अच्छी सोच दी उन ग्रन्थों के पठन पाठन के लिए संस्कृत भाषा के प्रशिक्षण के साथ ही अपनी मूलभूत संस्कृति की गरिमा से सभी को अवगत कराना चाहिए।
हम महिलाओं ने अन्य कई विधाओं के साथ लोगों में स्वस्थ मानसिकता का बीजारोपण करने का प्रयास शुरू भी किया है। ताकि बच्चे अपने गौरवशाली इतिहास को समझें अमल में लाएं। अपने बड़ों से जो भी वे सीखना चाहें सीखे, जाने, समझें
विभिन्न मसलों की आग में झुलसे...
जातियों में बंटेअब एक होने लगे हैं।।
सारे लोग तिरंगे में इकट्ठे होने लगे हैं...
देश की आन से जो खिलवाड़ करें।।
उन्हें सरे आम बेनकाब करने लगे हैं...
की बहुत सी चालाकियां बर्बाद करने।।
बदले इतिहासिक किस्सों के कलेवर...
बदल डाली भाषाई सारी ही मधुरता।।
गनीमत इतिहास के बहुत सारे दबे हुए...
किस्से समयदर्पण से न रीते हुए थे।।
वक़्त की सीमाएं लांघते सारे के सारे ...
अपनी पहचान लिए बरसों बाद निकले।।
नीता झा
ये हुई झाँसी रानी
जवाब देंहटाएंवाली बात
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंआपकी लेखनी में भाषा का प्रवाह बहते पानी सा है।आपका प्यारा सौम्य व्यक्तित्व आपकी लेखनी में पूरी तरह उभर कर आता है 🙏😊
बहुत-बहुत साधुवाद 🙏🙏🙏
बहुत बुयत धन्यवाद
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