मेरी अम्मा - नीता झा।
मेरी माँ असंख्य रूपों में झिलमिलाती हैं
माँ भारती की सागरिका में सितारा बनकर
मुझे प्यार से संवारती हैं हर पल नेह बनकर
मेरे सपनों में रंग भरती हैं मार्गदर्शक बनकर
नई डगर थामे हाथ चलतीं पथप्रदर्शक बनकर
हाँ मेरी सारी अग्रज मुझे संवारती हैं माँ बनकर
बड़े जतन से थमाती। कुंजी मेरे भविष्य के सपनो की
मेरी माँ असंख्य रूपों में झिलमिलाती है
सखी, हमजोली, बहन, भाभी, मामी, मौसी बनकर
हाँ नन्ही परियों की मुस्काम, बुजुर्गों के ज्ञान और
रीतियों की पहचान, कई विधाओं की शान बनकर
मेरी माँ असंख्य रूपों में झिलमिलाती हैं
हमेशा धड़कती हैं मुझमें धड़कन बनकर
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