मेरी बेटी। - नीता झा।
वह पल जब वह गोद मे आई...
लगा मुझसे कोई परी है आई!!
सुकोमल फाहे सी नरम लगती...
रंगत मानो अप्सराओं से लाई!!
तीखे नयननक्श, अदा निराली...
सारी खूबियों की नन्ही पिटारी!!
धीरे धीरे जब रखे पांव डगमग...
न गिर पड़े सोच मन हुक उठती!
संतोष बड़ा हर दम आँचल थामे...
मेरे ही संग में वह चलती फिरती!!
मातृहीन माँ को फिर मां थी मिली...
नन्हीं अंकु के रूप में मैं जी उठी!!
आज फिर घर-आंगन में जब चलती...
मेरी नन्हीं परी मातृत्व वरदान लिए!!
आशीष देती सुखी रहे हरपल बेटी
नीता झा
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