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शून्य से होती यात्रा - नीता झा।

शू न्य से होती यात्रा सुखद होती है.. पग - पग स्वयं की परख होती है।। भान सदा कुछ हाथ सर पे मेरे हैं.. हर जीत उनकी मुस्कान होती है।। इस लिए खुद को बनाया दरपन है.. मेरे वजूद में घर की लाज दिखती है।। लोग शायद सीख लें हुनर मुझसे.. इस लिए उम्र सीखने में बिताई है।। सांसों का क्या जाने कब थम जाए.. इस लिए अपनो में जान बसाई है।। बहुत से लोग मेरे बाद जिएंगे मझको.. ऐसी कोशिश में जिंदगी बिताई है।। नीता झा रायपुर, छत्तीसगढ़

अटूट रिश्ते कुछ होते हैं - नीता झा।

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अटूट रिश्ते कुछ होते हैं... लड़खड़ा भी टिके होते हैं!! लहू से बंधे या जन्मों के... आपस मे मिले गुथे होते हैं!! अटूट रिश्ते कुछ होते हैं... लड़खड़ा भी टिके होते हैं!! हर किसी की उम्र अलग... सोच भाषा जीवन अलग!! सारी परिभाषाएं अलग... मन मिले तो बात अलग!! अटूट रिश्ते कुछ होते हैं... लड़खड़ा भी टिके होते हैं!! भीड़ में होकर भी अलग हैं... जिन्हें हम याद करते नहीं!! वो सदा वजूद में मौजूद हैं... चाहतों की शर्तों से भी परे!! अटूट रिश्ते कुछ होते हैं... लड़खड़ा भी टिके होते हैं!! भौतिकता को भेद बसते हैं... बन्द आंखों से जो रिसते हैं?!! सूक्ष्म रूप में सदा साथ हैं... स्थूल देंह से सर्वथा विलग हैं!! अटूट रिश्ते कुछ होते हैं... लड़खड़ा भी टिके होते हैं!! नीता झा रायपुर छत्तीसगढ़

मुट्ठी की रेत सा बिखरता जीवन। - नीता झा।

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*मुट्ठी की रेत सा बिखरता जीवन* मुट्ठी की रेत सा बिखरता जीवन... हर कण में कुछ खास जीवन।। लोरी की मधुर नींद सा जीवन... भरोसे के पारे सा भारी जीवन।। मित्र इत्र संग सुवासित जीवन... छल कपट से आहत भी जीवन।। मुट्ठी की रेत सा बिखरता जीवन... हर कण में कुछ खास है जीवन।। निर्मल, निर्झर बलखाता जीवन... खारे समन्दर सा व्यापक जीवन।। ठोस पर्वत लीलता सूरज जीवन... नन्ही ओस सहेजता पात जीवन।। मुट्ठी की रेत सा बिखरता जीवन... हर कण में कुछ खास है जीवन।। जो कोयल की कुक लगता जीवन... तो सिंह गर्जना सा कर्कश जीवन।। जो चादर मखमली बुनता जीवन... लगे कांटों की बगिया सा जीवन।। मुट्ठी की रेत सा बिखरता जीवन... हर कण में कुछ खास है जीवन।। मोहजाल में फंसा मारता जीवन... तो अनगढ़ शब्दों का नेह जीवन।। झुकी पलकों सा समर्पित जीवन... तो आग्नेय नेत्रों सा दाहक जीवन।। मुट्ठी की रेत सा बिखरता जीवन... हर कण में कुछ खास है जीवन।। सदा चारी की राह रोकता जीवन... भटके को सदमार्ग दिखाता जीवन।। कभी अनबुझ  पहेली सा जीवन... कभी हर सवाल का जवाब जीवन।। मुट्ठी की रेत सा बिखरता जीवन... हर कण में कुछ खास है जीवन।। नीता झा