मुट्ठी की रेत सा बिखरता जीवन। - नीता झा।

*मुट्ठी की रेत सा बिखरता जीवन*
मुट्ठी की रेत सा बिखरता जीवन...
हर कण में कुछ खास जीवन।।
लोरी की मधुर नींद सा जीवन...
भरोसे के पारे सा भारी जीवन।।
मित्र इत्र संग सुवासित जीवन...
छल कपट से आहत भी जीवन।।


मुट्ठी की रेत सा बिखरता जीवन...
हर कण में कुछ खास है जीवन।।
निर्मल, निर्झर बलखाता जीवन...
खारे समन्दर सा व्यापक जीवन।।
ठोस पर्वत लीलता सूरज जीवन...
नन्ही ओस सहेजता पात जीवन।।

मुट्ठी की रेत सा बिखरता जीवन...
हर कण में कुछ खास है जीवन।।
जो कोयल की कुक लगता जीवन...
तो सिंह गर्जना सा कर्कश जीवन।।
जो चादर मखमली बुनता जीवन...
लगे कांटों की बगिया सा जीवन।।

मुट्ठी की रेत सा बिखरता जीवन...
हर कण में कुछ खास है जीवन।।
मोहजाल में फंसा मारता जीवन...
तो अनगढ़ शब्दों का नेह जीवन।।
झुकी पलकों सा समर्पित जीवन...
तो आग्नेय नेत्रों सा दाहक जीवन।।

मुट्ठी की रेत सा बिखरता जीवन...
हर कण में कुछ खास है जीवन।।
सदा चारी की राह रोकता जीवन...
भटके को सदमार्ग दिखाता जीवन।।
कभी अनबुझ  पहेली सा जीवन...
कभी हर सवाल का जवाब जीवन।।

मुट्ठी की रेत सा बिखरता जीवन...
हर कण में कुछ खास है जीवन।।
नीता झा

टिप्पणियाँ

  1. मुट्ठी की रेत सा बिखरता जीवन...
    हर कण में कुछ खास है जीवन.. 👌👌वाह बहुत बढ़िया... 🙏

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  2. धन्यवाद दीदी आप ने पढ़ कर प्रतिक्रिया दी अच्छा लगता है

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