अटूट रिश्ते कुछ होते हैं - नीता झा।
लड़खड़ा भी टिके होते हैं!!
लहू से बंधे या जन्मों के...
आपस मे मिले गुथे होते हैं!!
अटूट रिश्ते कुछ होते हैं...
लड़खड़ा भी टिके होते हैं!!
हर किसी की उम्र अलग...
सोच भाषा जीवन अलग!!
सारी परिभाषाएं अलग...
मन मिले तो बात अलग!!
अटूट रिश्ते कुछ होते हैं...
लड़खड़ा भी टिके होते हैं!!
भीड़ में होकर भी अलग हैं...
जिन्हें हम याद करते नहीं!!
वो सदा वजूद में मौजूद हैं...
चाहतों की शर्तों से भी परे!!
अटूट रिश्ते कुछ होते हैं...
लड़खड़ा भी टिके होते हैं!!
भौतिकता को भेद बसते हैं...
बन्द आंखों से जो रिसते हैं?!!
सूक्ष्म रूप में सदा साथ हैं...
स्थूल देंह से सर्वथा विलग हैं!!
अटूट रिश्ते कुछ होते हैं...
लड़खड़ा भी टिके होते हैं!!
नीता झा
रायपुर छत्तीसगढ़
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें