गुरु, माँ, माँ, गुरु सभी गुरुओं को चरणवंदना करते हुए अपने प्रथम गुरु अम्मा पिताजी को सादर प्रणाम करती हूँ। मन में बहुत गहरे तक जो व्याप्त है। जो मेरे मन की सोच है। यहां तक की मेरा सम्पूर्ण व्यक्तित्व अम्मा पिताजी से प्रभावित रहा जब भी जीवन मे किसी उच्च आदर्श वाले व्यक्ति को देखा उनमें अम्मा पिताजी की झलक दिखी अपने जीवन के किसी भी उतार - चढ़ाव में दोनो की स्मृति उत्तर देती है। बिल्कुल सही और तत्काल। जन्म से पहले जिन्हें मेरी फिक्र रही सारा जीवन जिन्होंने अपने सभी बेटे - बहुओं, बेटी - दामाद, नाती - नातिन, पोते - पोतियों और अभी सगे सम्बन्धियों से सदैव प्रेम व्यवहार रखा ऐसे माता पिता की संतान होना हम सभी भाई बहनों का सौभाग्य है। इस पावन गुरुपूर्णिमा के शुभावसर पर अम्मा पिताजी को पुनः सादर प्रणामनीता झा

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